Book Title: Dharmratna Prakaran
Author(s): Manikyamuni
Publisher: Dharsi Gulabchand Sanghani

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Page 60
________________ (५६) . ये १४ नियम के ऊपर ६ काय और ३ प्रकार के कर्म की मर्यादा विचा रनी आवश्यक है। ६ काय। १ पृथ्वीफाय-मट्टी, निमक, आदि ( खानेमें उपभाग में आवें) उसका वजन । २ अप्काय-जोपानी पीने में वा दूसरे उपयोग में आवे उसका वजन* ३ तेऊकाय-चूल्हा, अंगीठी, भट्ठी, चिराग आदि का प्रमाण । ४ बायुकाय-हिंडोले और पंखे ( अपने हाथ से वा हुकम से) जितने चलते होवे उनकी संख्या का प्रमाण. रुमाल से वा कागज से हवा लेनी यह भी पंखे में गिनी जाती हैं, उसकी जयणा । ५ बनस्पति काय हरा शाक तथा फलादि इतनी जात के खाने, घर संबंधी मंगाने, जिसकी गिनती तथा वजन । ६ त्रसकाय-सजीव अपराधी, बिनापराधी का विचार करना यह ६ काय का परिमाण करलेना । कर्म. १ असी- (शस्त्र और औजार ). तलवार, बंदूक, तमंचा, बरछी, भाला, आदि छूरी, कैंची चक्कु, और सरोता, चिमटी आदि औजार. २ मसी (लिखने पढने का.) कागज, कलम, दावात, पेन्सिल, वहीं, पुस्त__क, छापा, टाइप, आदि. ३ कृषी- ( कसी). खेती वगीचे आदि का परिमाण. अब रोजके नियम धारनेकी विधि संक्षेपसें लिखते हैं, विस्तार जितना अधिक करिये, यानि नाम खोल खोल कर रखिये उतनाही जादे फायदा है. यदि अवकाश कम हो तो नीचे लिखे मुजब धारीए.

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