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अपूर्व ग्रंथ ॥
श्रीपाल चरित्र अर्थात् श्रीपाल राजा के राम का मूल के साथ हिन्दी भाषान्तर इस ग्रंथ में कर्म और उद्योग की स्पर्धा दिखाई है और मनुष्य की बुद्धि से भी अधिक धर्म का प्रभाव है वह दिखाया है. साथ में नव पदजीका माहात्म्य भी बताया है श्रीमान् विनय बिजयजी और यशोविजयजी महाराज ने काशी में विदेशी पंडितों को जीत बनारस के पंडितों को लाज रखी थी उन्होंने पुराणे संस्कृत और मागधी ग्रंथों का आधार लेकर यह ग्रंथ बनाया है अपने घर के स्त्री और बालकों को अच्छी शिक्षा देना चाहे अथवा जो मु चाहे उनको यह ग्रंथ अवश्य रखना चाहिये मूल्य दो रुपये ।
ग्रंथ महासुद १५ तक तैयार होगा
आत्मनंद पुस्तक प्रचारक मंडल:
रोसनमुहुला
आगरा
सोभाग्यमल हरकाबत
नयाँ वाजार
अजमेर