Book Title: Dharmratna Prakaran
Author(s): Manikyamuni
Publisher: Dharsi Gulabchand Sanghani

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Page 76
________________ (७२) . वरि वीर वेपार ५ २० ४१ मारी १८ देश विा ཤྩ བྷཱཙྪཱ བྷྱཱ ཉྙོ ཝ་ཨ༔ བྷཾ ཟླ १. १३ आज्ञा से विरुद्ध किया, कराया करते को भला जाना | इन चार प्रकारके अतिचार में जो कोई अतिचार पक्ष दिवस सूक्ष्म या बादर. जानते अजानते लगा हो वह सब मन बचन काया-मिच्छामि दुक्कडं ॥ एवंकारे श्रावक धर्म सम्यक्त्वमूल बारह व्रत संबंधी एकसौ चौवीस अतिचारों में से जो के ई अतिचार पत दिवस में सूक्ष्म या बादर जानते अजानते लगा तो वह सब मन बचन काया कर मिच्छामि दुक्कडं ॥ इति ॥ शुद्धि पत्र॥ शुद्धि पत्र प्र० पंक्ति अशुद्ध प्र. पंक्ति अशुद्ध शुद्ध शुद्ध १ १७ ध्मान ध्याम ३७ ५ जीव का जीवों की ३६ २३ मे ५१७ प्राज ૪૧ ૪ तैयार देश विरित देश विरति १७ .६ में.. ४४ १७ हलिता हीलता सौम्य ૪૬ ૧૪ जुनो देखो १३ पापाद्ध पापार्द्ध दो १६ उन्होंने परिणाम परिमाण ७ २७ प्रौ संताप संतोष षडा पडा श्राना जाता आना जाना २१ १६ दाक्षिएता दाक्षिण्यता १२ और है है और धन ६. १५ १२ १२ वां उसने पका . का २२ २३ सौम्य सौम्य व्रतोदिक व्रतादिक जाती जाती जाती नाणांमि नाणंमि और भाणियो भणिओ अदश्य अदृश्य चारित्रो चारित्री २५ निस्पृहता २६ निस्पहता ३२ काय गुप्ति ...... पारिष्ठा २६ . दष्टांत ३२ परिष्टा दृष्टांत २६ . निर्दोष . निदोष ६४ २ शास्वतो शास्वात २६ .. ४ दृष्टि ४ धूप में दष्ठि थूप में १६ रहस्स २४ रहस्य आये गहिया २६ . २२ गइया सदाचार सदाचारी २६ ४ पापीपो पापियों ६८ ३ कठोर ३० ३ उतका उनका स्वस्तु वस्तु ३५. ६. जिसने जीतने कोई ६६ २ जस्सुगह ३५ २५ छुटे छुटे भिन्न भिन्न ७. १ खाने श्राने १६. ५ मिलेगा मिलेगा। |३६ १६ कन्था कान्या सौभ्य। भौर २४ वो २३४ जौर umr X MM . १७ मिट्टी मिठी कठो . जस्सगो ....

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