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यथा शक्ति मन वचन काया से दूसरे जीवों की रक्षा करनी, औरतें गालियें गावे, पुरुष होली के दिन में अपशब्द बोले वा हांसी करना पाप का उपदेश देना वा टंटा कराना क्लेश बढाना परस्पर निंदा लेख ट्रेक्ट पुस्तक निकाल - समय धन बुद्धि व्यर्थ करना पैसे बालों की ईर्षा करना गुणवानों का देव करना विना कारण समिति और तीन गुप्ति न पालना ।
जैसे कि दूसरा रास्ता होने पर भी हरी पर चलना, चलते २ पुस्तक बा पत्र पढना अंधेरे में बैठ खाना बिना विचारे चाहे वहां टट्टी जाना पिशाब करना थूकना कूड़ा फेंकना विना कारण आर्त रौद्रं ध्यान करना, अधिक बोलना, शरीर से दूसरों को बिना कारण दुःख देना ऐसे अनेक पर पीडक कृत्य अनर्थ दंड में हैं उसे छोड़ना चाहिये ।
चारशिक्षा व्रत.
सामायिक में दो घडी तक स्थिर बैठ जाप वा धर्म शास्त्र का पठन वा पाप का पश्चात्ताप करना प्रभात और साम को प्रतिक्रमण में छ आवश्यक होते हैं उसमें प्रथम सामायिक है दुपहर वा रात को भी सामायिक हो सक्ता है धर्म शास्त्र पठन का यह उत्तम रास्ता है किन्तु यह दो घडी ( ४८ मिनिट ) का चारित्र है इसलिये साधु की तरह यह पालना चाहिये और सामायिक व्रतका पाठ उचरना चाहिये.
सामायिक पाठ ।
( उसकी विधि अर्थ साथ किताब अलग छप चुकी है। ) करेमि भंते सामाइअं सावज्जं जोगं पच्चखामि जाब नियमं पज्जु वासामि दुविहं ति विहरेणं मरणरंग बायाए कारणं न करेमि न कारवेमि तस्स भंते पडिशामामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि ।
इस पाठ में यह बताया है कि दो घड़ी तक मन बचन कायासे पाप ब्यापार न करूंगा न कराउंगा और भूल से हो जावे तो उसकी निंदा गर्दा कर भात्मा को पाप से रोड़ंगा ।