Book Title: Dharm vidhi Prakaranam
Author(s): Udaysinhsuri, Shreeprabhsuri
Publisher: Hansvijayji Library

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Page 265
________________ सो उवज्जए अत्यं । रहिओ य चिरं जुव्वण-उचियं सिच्छाइ विलमंतो ॥ ६२८ ॥ अन्नदिणे नियदविणं, दाऊणं तेण असमरूवधरा । सा गणिया नियजणणी, कुबेरसेणा कया घरिणी ॥ ६२९ ॥ तीए सह विसयमुहं, से भुंजाणस्स नंदणो जाओ। तं नत्थि संविहाणं, संसारे जन संभवइ ॥ ६३०॥ तइया कुबेरदत्ता, वि गिहगया पुच्छए निययमायं । सा वि हु तहेव 2 अक्खइ, मंजूसालाभओ सव्वं ॥ ६३१ ॥ निययकहाए तीए, तक्खणमासाइऊण निव्वेयं । गिण्हइ कुबेरदत्ता, जिणदिक्खं मुक्खवरुवीयं ॥ ६३२ ॥ तं मुद्दियं पि गोविय, पव्वजंती धरित्तु नियपासे । विहरइ सह गुरुणीए, परीसहे सा सहती य ॥ ६३३ ॥ दुक्करतवनिरयाए, तीए गुरुणीपयाण भत्ता(ती)ए । तवपायवस्स पुष्पं व, अवहिनाणं समुप्पन्न ॥६३४॥ चिट्ठइ कुबेरदत्तो, कत्थ कह वित्ति सा वि चिंतती । पेक्खइ कुबेरसेणा-गम्भुन्भवपुत्तसहियं तं ॥ ६३५ ॥ अह सा मणमि खेयं, उन्बहइ ४ सहोयरो अहह मज्झ । अकरणपंकनिमग्गो, ही कह चिट्ठइ वराहु व्व ॥ ६३६ ॥ अह तप्पडिबोहकए, तत्तो महुरापुरिमि सा 3 अज्जा । सह संजईहिं पत्ता, करुणारससारणी कमसो ॥६३७॥ तत्य य कुबेरसेणं, गिहम्मि गंतूण धम्मलाभेइ । मग्गइ य तीइ पासे, वसहिं उवसमसिरी मुत्ता ॥ ६३८ ॥ नमिउं कुबेरसेणा, जंपइ पणसुंदरी अहं अज्जे ?। एगपइत्तेणहुणा, चिट्ठामि पुणो कुलवहु व्व ॥ ६३९ ॥ कुलबहुवेसो एसो, कुलीणपइसंगमाउ मह अज्जे ? । धन्ना हमित्तिएण वि, जे अजपसाइया तुमए ॥ ६४०॥ ता इत्तो मज्झगिहा-सन्ने गिण्हित्तु तुममिमं वसहिं । होसु मह सन्निहित्था-सयकालं इट्टदेवि व्व ।। ६४१॥ तत्तो य सपरिवारा, तीसे कल्लाणकामधेणू सा । अज्जा कुबेरदत्ता, रहिया तद्दिन्नवसहीए ॥ ६४२ ॥ गणिया कुबेरसेणा, तं नियपुत्तं दिवानिस तत्थ । आगंतुं अजाए, पुरओ मुंचइ भुवि लुठंतं ॥ ६४३ ॥ बुज्झइ जो जह जंतू, सो तह बोहिज्जा %555555 RE

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