Book Title: Dharm vidhi Prakaranam
Author(s): Udaysinhsuri, Shreeprabhsuri
Publisher: Hansvijayji Library
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अपणा लेई ॥ ९८ ॥ तो तीइ वंचणाए, विहियाए आभिओगियं कम्मं । बंधइ सोलगो सो, वडवाजीवासमं तत्थ ॥ ९९ ॥ अह पाविऊण मरणं, मूढो पसुचणेण सो तेण । भमिओ तिरियगईसु, मग्गन्भट्ठे व रणमि ॥ १२०० ॥ तत्तो खिइपट्ठिय-नयरे विपस्स सोमदत्तस्स । सोमसिरिकुक्खिभूओ, सोलगजीवो सुओ जाओ || १२०१ ॥ सा घोडिया वि मरि, भवं च परिभमिय तम्मि नयरम्मि । संजाया वरधूया, कामपडागाइ गणियाए ॥ १२० ॥ मायापियरेहि सयं, पालितो स दारओ अहियं । कणभिक्खाइ पमत्तो, कमेण सो जुव्वणं पत्तो ॥ १२०३ ॥ हिययग्गठिया घरिया, सयावि घावीहि हार। सा गणियापुत्ती व हु, संपत्ता जुब्वणं परमं ॥ १२०४ ॥ वररूवजुव्वणाणं, सरीरसोहाकराण अन्नुन्नं । भूसिज्ज - माणभूण- भावो वीसे समो जाओ || १२०५ || अहमहमिगाई ईंता, नयरजुवाणो महिड्डिया सव्वे । तीइ च्चिय आसत्ता, भ्रमरगणा मालईइ व्व ॥ १२०६ ॥ अतं अणुरत्तो, तीए सो सोमदत्तपुत्तो वि । नवरं अत्यविहीणो, सेवइ सुणउ व्व तद्दारं ॥ १२०७ ॥ निवतिसिद्विपुत्ता- इएहि इड्ढेहि सह रमंती सा । तस्स मुहं पि न नियइ, सो तं दठ्ठे पि जीवेइ || १२०८ ॥ तं निघणं वयणेण वि, सा न वि भासइ सइ व्व परपुरिसं । वेसाण सहावेणं, सघणे रागो न हि दरिद्दे ॥ १२०९ ॥ अ हसो विष्पकुमारो, पुव्वज्जियकम्मपेरिओ तझ्या । तद्दंसणमुहलोलो, भिच्चत्तं कुणइ तीइ गिहे ।। १२१० ॥ किसिकम्पसारहित्तण--कणपीसणवारिक ड्ढणाईयं । कारिज्जइ सो सव्वं, इक्कं मुत्तूण तब्भोगं ॥ ११ ॥ नोसारितो वि हु, सो तन्भवणाउ नेव नीहरइ । सहइ य मुणि व्व सव्वं, छुहतण्हातज्जणाई || १२ || ता वडवातुल्लाणं, तुम्हाणं अभिओगियं कम्मं । स इव न बंधिस्से हैं, पिए ? कयं सेसजुत्तीहिं ॥ १३ ॥ इत्तो सत्तमभज्जा, कमलवई उल्लवेइ हे नाह ! । साहससऊणि व्व तुमं,
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