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हिन्दीकी प्रथम आवृत्ति
हम आपको बताना चाहेंगे कि सभीके लिए अत्यन्त प्रेरणाप्रद इस ' चारित्र्य सुवास' की गुजराती भाषामें नौ आवृत्तियाँ निकल चुकी हैं। चारित्रके विकासमें ऐसे लघु प्रेरक प्रसंग बाल, युवा, वृद्ध, स्त्री, पुरुष, विचारक, साधक सभीके लिए विशेष उपकार-कारक हैं, इसी विचारसे पुस्तककी यह सर्वोपयोगी हिन्दी आवृत्ति संस्थाकी ओरसे प्रकट की जा रही है। कथा - वार्ता-लेखकोंका अनुभव पात्रोंके साथ जागतिक सभी क्षेत्रों गली-कूचों, गाँव-नगरों, नदी-पर्वतों, कुटी-महलों, निर्धन-धनवानों, सज्जन - दुर्जनों आदि के बीचसे निकलकर सहज प्रवाहित होता रहा है। हम बिना किसी शुल्कके इस माध्यम द्वारा पता नहीं कहाँ-कहाँ, कैसी-कैसी परिस्थितियोंमें घूम-फिर आते हैं, परन्तु थकान विलकुल नहीं लगती अपितु विविध प्रेरणाओंके साथ आनन्द और उत्साहका अनुभव होता है । लगता है, प्राप्त बोध ही संवेदनसे चिपककर रह जाता है ।
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पुस्तक सम्बन्धी सभी पक्षोंको पूज्य श्री आत्मानन्दजीने अपने आमुखमें स्पष्ट कर दिया है अतः विशेष कथनके लिए कुछ बाकी नहीं रह जाता।
संस्थाकी ओरसे ऐसा ही उपयोगी साहित्य प्रकट होता है जो जीवनोत्थानमें सदा काम आये। शेष आधार तो केवल हमारी अपनी रुचिका है। आशा है, पाठकगण इसका भरपूर लाभ उठायेंगे।
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