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भरतादि चौद क्षेत्रमां, ए सम तीरथ न कोय तिणे सुरगिरि नामे नमुं, ज्यां सुरवास अनेक...
श्री शत्रुंजय महातीर्थ शचित्र भावयात्रा
लेखक : दीक्षादानेश्वरी आ. श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी म.सा. संपादन : प्रवचनप्रभावक आ. श्री रश्मिरत्नसूरीश्वरजी म.सा.
पांच महाविदेह, पांच ऐरवत और चार भरत इन चौदह क्षेत्रों में श्री शत्रुंजय समान कोई तीर्थ नहीं है ।
त्रीजे भव सिद्ध रहे, ए पण प्राचिक वाच उत्कृष्टा परिणाम थी, अन्तरमुहूर्त साच...
पंडित शुभवीरविजयजी
Shatrunjay Bhav Yatra
“सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमलाचल गिरि नमो नमः”
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