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वर्णनुं छे. ते सर्वदा चन्द्रनी साधे पण चन्द्रना विमानथी चार अंगुल नीचुं चाले छे. तेमां कृष्णपक्षभां चन्द्रमंडलना पंदर भाग करीये तेवा एक एक भागने वधारे ढांके छे. अने शुक्लपक्षमां एक एक भागने के छे. जेथी लोकमां चन्द्रमंडलना तेजनी हानी वृद्धि देखाय छे.
हवे जंबूद्वीपमा तथा बीजा पण मनुष्यक्षेत्रमां एक ताराथी वीजा ताराना विमानोनुं पर्वतादिकना व्याघाते ( आंतरे ) अथवा व्याघात विना ( आंतरा विना ) जघन्योत्कृष्ट अंतर केटलं होय ? ते कहे छे:
Burud तारस्स य तारस्स य, जंबुद्दीवंमि अंतरं गुरूयं ॥ बारस जोयण सहस्सा, दुन्निसया चेव बायाला ॥७०॥
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अर्थः - ( जंबुद्दीवंमि ) के० जंबूद्वीपने विषे ( तारस्स य तारस्य ) के० एक ताराथी बोजा तारानुं (गुरुयं अंतरं) के० उत्कृष्ट अंतर ( बारस जोयण सहस्सा ) के० बार हजार योजन, ( दुनिया ) के० बसो योजन अने ( बायाला ) के० बेंतालीश योजन अर्थात ( १२२४२) योजन ( चैव ) के० निश्चे होय छे. आ अंतर मेरु पर्वतना व्यायातथी एटले आंतराथी जाणवुं. कारण मेरु पर्वत समभूतलानी नीचे दश हजार योजन जाडो छे, तथा मेरुने अने एक बाजुना ताराने अगीयारसो एकवीश योजननुं अंतर छे. अने बीजी बाजुए पण मेरुने अने ताराने तेटलुंज अंतर छे, ए त्रण अंतरनी संख्याने एकठी करीये ता एक ताराथी बीजा वारानुं उत्कृष्ट अंतर ( १२२४२ ) योजन थाय छे. ॥ ७० ॥
ed मेरु पर्वत विना बीजा पर्वतोनां आंतरे अथवा आंतरा विना तारा तथा नक्षत्रोनुं जघन्य तथा उत्कृष्ट अंतर कहे छे: