Book Title: Bruhat Sangrahani
Author(s): Chandrasuri
Publisher: Umedchand Raichand Master
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पछी (चक्की) के० एक चक्रवर्ती, त्यार पछी ( केसव ) के० एक वासुदेव, त्यार पछी (दुचक्की) के० वे चक्रवर्ती, त्यार पछी, ( केसव ) के० एक वासुदेव, त्यार पछी (चक्की) के० एक चक्र - वर्ती एम अनुक्रमे थया छे. तेनी विशेष समजुती यन्त्रमां जोवी ॥ ३९६ ॥ उस भरहो अजोए, सगरो मघवं सणकुमारो य ॥ धम्मस्स य संतिस्स य, जिणन्तरे चक्कवट्टीयुगं ॥ ३९७|| संतिकुंथु जिनवरो, अरिहंता चेव चकवडी य ॥ अस्मलिअंतरे पुण, होइ सुभुमो य कोरो ॥ ३९८ ॥ मुणिसुव्वयमिजिणे, हुंति दुवे परमनाम हरिसेणा || नमिनेमि य जयनामा, नेमिपासंतरे बंभो ॥ ३९९ ॥
अर्थ - ( उस ) के० ऋषभदेवना वखते (भरहो ) के० भरत चक्रवर्ती अने ( अजीए) के० अजितनाथना वखते ( सगरो ) के० सगर चक्रवर्ती थयेल छे. (य) के० वली (मघवं ) के० मघवा तथा (सकुमारो ) के० सनत्कुमार (चकवट्टीयुगं ) के० ए बे चक्रवर्ती (धम्मम्स य संतिस्स य जिणन्तरे ) के० धर्मनाथ अने शांतिनाथनी वचमां थया है. ॥ ३९७ ॥ वली ( संति ) के० शांतिनाथ, (कुंथु ) के० कुंथुनाथ तथा ( अरिहं ) के० अरनाथ (ता) के० ते त्रणे (जिनवरो ) के० जिनेश्वर तथा (चक्की) के० चक्रवर्ती (देव) के० निचे थया छे. (पुण) के० वली अरमल्लि अंतरे के० अरनाथ तथा मल्लीनाथना वचमां (सुभुमो कोरवो ) के० सुम चक्रवर्ती होइ के० थयो छे. ॥ ३९८ ॥ तेमज ( मुणिसुब्बयमिजिण) के० मुनिसुव्रत प्रभु नमिनाथ एमना वखते ( पडमनाम हरिसेणो ) के० महापद्म अने हरिषेण ए (दुवे) के० वे चक्र

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