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श्री वर्धमानाय नमः ।।
टीकाकार का परिचय उत्तर प्रदेशवर्ती आगरा नगर के निकट एक चावली ग्राम है। है छोटा पर है सुन्दर । इसी गांव की पद्मावती पुरवाल सज्जाति म भूषण स्वरुप श्रीमान लाला तोताराम जी थे । वे जैसे धर्मात्मा ५ वैस ही अनुभवी निरपेक्ष वैद्य थे । तथा जैसे सज्जन थे वैसे ही परोपकारी थे । यही कारण था कि वह गांव के शिरोमणि गिने जाते थे। आपने अपने नश्वर शरीर को विक्रम सं० १९६५ मे छोड़ा था, आपके छह पुत्र हाए जिन-में
१-लाला रामलाल जी - आप आजन्म ब्रह्मचर्य पालन करते हए घर पर ही व्यवसाय करते रहे । आपका स्वभाव बहुत ही मिलनसार और अतीव सरल था। आप बहत धर्मात्मा थे । आपने विक्रम सं० १९७० मे अपना शरीर छोडा ।
२-लाला मिट्टनलाल जी - आप घर पर ही रह कर व्यवसाय करते रहे । आपनें वाल्यजीवन में कुछ समय अलीगढ की पाठशाला में संस्कृत का अध्ययन किया क्षा | आप भी वैसे ही धर्मनिठ थे । आपका स्वर्गवास विक्रम सं० २००७ मे हुआ था।
३-इस ग्रंथ के टीकाकार विद्वच्छिरोमणि धर्मरत्न सरस्वती दिवाकर पं० लालाराम जी शास्त्री।।
४-श्री १०८ परम पूज्य आचार्य सुधर्म सागर जी महाराज । आपका पूर्व नाम पं० नन्दनलाल जी शास्त्री था । बीर निर्वाण संवत २४५४ फागुन मास मे जव कि श्री सम्मेद शिखर जी पर इतिहास प्रसिद्ध पत्रच कल्याण महोत्सव हुआ था उस समय आपने शुभमिती फागुन शुक्ला १३ त्रयोदशी के दिन परमपूज्य चरित्र चक्रवर्ती सिद्धांत पारंगत योगीन्द्र चूडामणि धर्म साम्राज्यनायक दिवतग आचार्य श्री १०८ शांतिसागरजी महाराज से गृह विरत सन्तम प्रतिमा की दीक्षा