Book Title: Bharatvarsh ka Itihas aur Jain Dharm
Author(s): Bhagmalla Jain
Publisher: Shree Sangh Patna

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Page 23
________________ रोड्स को पुस्तक को हास्यास्पद अशुद्धियों का आपने जो उत्तर दिया है वह भी देखा। दुर्भाग्य से इस प्रकार के लेख बहुत हैं और मैं उत्तर लिखते २ तंग आगया हूं। मेरी सम्मति में इसका उपाय यह है कि Key of Knowledge, the Practical Path sitt The Confluence of Opposites जैसीपुस्तकों का खूब प्रचार किया जाये । आप एक २ व्यक्ति के लेखों को कहां तक शुद्ध करायेंगे। यदि वह धन जिसे हम मुकद्दमेबाज़ी में लुटा रहे हैं, इस प्रकार की पुस्तकों के प्रचार में लगाया जावे तो हम अद्भुत कार्य करके दिखा सकते हैं। तथापि आप ने अच्छा किया जो लेखकों का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया ।........ २-श्री अजितप्रसाद जी, M. A. L. L. B. लखनऊ १३-३-२५ । "गैरट की हिस्टरो सम्बन्धी आपके छपे पत्र के लिये धन्यवाद ! ..........."अापका उद्यम प्रशंसनीय है। तथापि हमें स्थायोरूप में एक संस्था स्थापित करनी चाहिए जो जैनधर्म पर किये गये या किये जा रहे प्रारंप का समुचित विरोध किया करे।" . ३-श्री कन्नोमल जी एम० ए० जज, धौलपुर । "जैनधर्म पर किये गये मिथ्या आक्षेपों के प्रतिवाद-रूप में प्रकाशित श्राप का पत्र मिला।

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