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(२६) हम ने तीनों आम्नायों के विद्वानों से सम्मति माँगी और उनके बतलाए अनुसार फेर फार करके कमेटी को अपनी स्वीकृति दे दी।
पुराना अशुद्ध लेख निकाल कर पुस्तकों में नया शुद्धलेख दे दिया गया है। यह नया लेख परिशिष्ट ६ में दे दिया गया है। साथ ही परिशिष्ट ७ में वह लेख भी दे दिए गए हैं जो हमें प्रकाशकों के पत्र के उत्तर में प्राप्त हुए थे
और आशा है कि अन्य लेखकों को भी इन से जैनधर्म और सिद्धान्तों का बहुत कुछ परिचय मिलेगा।
इस अवसर पर हम सहर्ष अपने परम मित्रों और सहा. यकों जिनकी शुभनामावली नीचे दीजाती है-इस सफलता पर बधाई और उनके कष्ट के लिये धन्यवाद देना अपना कर्तव्य समझते हैं और प्राशा करते हैं कि वे सदा इसी भांति हमपर कृपा दृष्टि बनाये रखेंगे:--
१-विद्यावारिधि श्री चम्पतराय जी वैरिस्ट र, हरदोई २-श्री जगमन्दिरलाल जी एम० ए० जज; इन्दौर ३-श्री अजितप्रसाद जी वकील, लखनऊ ४-श्री कन्नोमल जी एम० ए०, धौलपुर ५-श्री शामचन्द्र जी, जालन्धर शहर ६-श्री परमानन्द जी सेठ, जालन्धर शहर