Book Title: Bharatvarsh ka Itihas aur Jain Dharm
Author(s): Bhagmalla Jain
Publisher: Shree Sangh Patna

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Page 83
________________ भारत का धार्मिक इतिहास | लेखक:- पं शिवशंकर मिश्र बेथर, उन्नाव | प्रका एक- - रिखबदास बाहिती एंड कम्पनी कलकत्ताः । यह हिंदी भाषा की पुस्तक १९२३ ई० में प्रकाशित हुई। इस मैं उन सभी धर्मो का वर्णन है, जो वेद-काल से लेकर श्राजतक: भारतवर्ष में फैले हैं। प्रत्येक धर्म के मूल प्रवृत्त के की संक्षिप्त जीवनी और किसी २ का चित्र भी दिया है । पुस्तक अत्यन्त उपयोगी है, परन्तु सर्वथा दोष रहित नहीं है । जैनधर्म के विषय. : में आपने सब से बढ़कर ऊटपटाँग लिख मारा था और विशेष. कर आपने 'आदिनाथ' जी काजो चित्र बनाया था, वह जैनों की : मान्यता के सर्वथा विरुद्ध था और बहुत कुछ उपहास जनक भी था । -2 ܘ܂ जैनों के प्रसिद्ध तीन संप्रदाय हैं- श्वेतांबर, दिगंबर और स्थानकवासी । पहले दो मूर्तिपूजक हैं, स्थानकवासी मूर्तिपूजा. नहीं करते। श्वेतांबर मंदिरों में जिन प्रतिमायें सुन्दर आभूषणों से अलंकृत-मुकुटकुडलादि सहित होती हैं और प्रायः पद्मासन से बैठी होती हैं परन्तु दिगंबर मंदिरों में सद्य-जात शिशु कौ भाँति नंगो ओर बिना श्राभूषणों के तानों संप्रदायों के साधुओं के

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