Book Title: Bharatvarsh ka Itihas aur Jain Dharm
Author(s): Bhagmalla Jain
Publisher: Shree Sangh Patna

View full book text
Previous | Next

Page 96
________________ (१०) भारत-इतिहास (ले०-रायसाहब ५० रघुवरप्रसाद द्विवेदी, .वी. ए. साहित्यरत्न जबलपुर,म. प्रा.) मध्य प्रांत ( Central Provinces ) में बहुत से स्कूलों में शिक्षा का माध्यम हिन्दी भाषा होजाने के कारण विद्यार्थियों के लिये एक हिन्दी इतिहास की अत्यन्त श्रावश्यकता का अनुभव करके ही द्विवेदी जी ने यह प्रयास किया है। शेष पुस्तक से हमारा किंचित् सम्बन्ध नहीं। जैनधर्म के विषय में आपका लेख दूसरे बहुतसे लेखकों से अच्छा है । परन्तु इसमें भी कहीं २ भारी दोष आगये हैं, जिनकी भोर द्विवेदी जी का ध्यान आकर्षित किया गया । द्विवेदी जी ने बड़ी सरलता से इन दोषों का निराकरण करना स्वीकार कर लिया है। हमारे और उनके बीच जो पत्र व्यवहार हुना है, उस की नकल नीचे दी जाती है: श्री श्रात्मानन्द जैन सभा, अम्बाला शहर २-१-२६ मान्यवर रायसाहब पं० रघुवरप्रसाद जी द्विवेदी, बी० ए०, साहित्यरत्न, ___ जबलपुर ( म०प्र०) जयजिनेश्वर देव के अनन्तर निवेदन है कि आपका लिखा हुवा भारत इतिहास देखने में आया । आपने अपने प्रांत के

Loading...

Page Navigation
1 ... 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120