Book Title: Bharatvarsh ka Itihas aur Jain Dharm
Author(s): Bhagmalla Jain
Publisher: Shree Sangh Patna

View full book text
Previous | Next

Page 114
________________ (१०८) मेरा काम नहीं । मैं इसको सख्त नफरत की निगाह से देखता हूँ। देमातरम्' लाहौर राकम१६-११-२६ पृष्ठ ७ । लोजपतराय । लाला जी का अन्तिम पत्र ६-१२-२६ “बन्देमातरम्" में इस प्रकार छपा है :"पंजाब के हिन्दू वाटरों की खिदमत में मेरा शुकरिया" (अज लाला लाजपतराय जी ) "..........."मुख्तलिफ मुकामात पर मेरे दोस्तों ने मेरे लिए काम किया, उन का मैं अजहद मशकूर हूँ। इस हलके में मेरे जैनी भाइयों का मुझ से मुशतअल करने की बहुत कोशिश की गई जिस में किसी कदर कामयावी मेरे मुखालिफ को हुई। जैनियों से मेरा कोई पोलिटिकल इख्तिलाफ़ नहीं। अपनी मुअल्लिा तारीख हिन्द में जो नुक्ताचीनी मैंने उन के मजहब पर की है, उसकी बिना पर उन का मुझ से नाराज़ी है जो सन् १६२२ से चली आती है। मैंने १६२३ में इसका जवाब दे दिया था और जिस क़दर हिस्सा ग़लत था उस की गलती या नामुनासिबपन को तसलीम कर लिया था। इस मौके पर बहुत से वरगज़ीदा जैनी लीडरों को एक पोलिटिकल जद्दोजहद में इस नाराजी को लाना बुरा मालूम हुआ और उन्होंने अपने हम मजहबभाइयों को यह अमर जतलाया। ताहम

Loading...

Page Navigation
1 ... 112 113 114 115 116 117 118 119 120