Book Title: Bharatvarsh ka Itihas aur Jain Dharm
Author(s): Bhagmalla Jain
Publisher: Shree Sangh Patna

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Page 107
________________ (१०१) नुमाइन्दगान ने बतौर डेप्युटेशन श्राप से मिलने की ख्वाहिश जाहिर की और आप से मुलाकात फेलिए वक्त मांगा। श्राप ने फरमाया कि श्राप पौने सात बजे शाम तक ठहरेंगे और बाद अज़ां अम्बाला आवनी जावंगे । आप ने पहिले तो सिर्फ एक ही शख्स को मिलने की इजाजत देनी चाही, मगर बाद में हमारे आदमी की दरख्वास्त पर पूरे डेप्युटेशन कोही इजाज़त दे दी जिस के लिए हम मशकूर हैं। ___ हम पौने छः बजे के करीब स्टेशन पर पहुँचे। वहाँ आप मौजूद न थे। श्राफ के मुलाज़िम ले दर्याफ्त करने पर पता लिसा कि आप हम से कुछ वक्त पहिले ही बजारिया मोटर छावनी तशरीफ ले गये हैं और अपने मुलाज़िम को हिदायत दे गए हैं कि वह अलवाब बजरिया लांगा छावनी ले आये। हमें मायूस वापिस ओना पड़ा। लेकिन बाद में यह भी मालूम हुधा आप साढ़े छः बजे के करीब भी अम्बाला शहर स्टेशन पर थे। चूंकि वक्त तंग था, इस लिए हम शरफे मुलाकात हासिल न कर सके। __ आप को इस मौके पर तकलीफ देने का खास मकलद यह था कि हम यह जानना चाहते थे कि आपने अपनी किताब 'तारीख हिन्द हिस्सा अव्वल में जैनधर्म के मुताल्लिक जो कुछ लिखा था और जिल पर जैनियों ने फर्दन २ और मुफिक्का तौर पर सख्त एतराज़ किया था उस को दुरुस्ती

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