Book Title: Bharatvarsh ka Itihas aur Jain Dharm
Author(s): Bhagmalla Jain
Publisher: Shree Sangh Patna

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Page 91
________________ (६६) जो मज़मून है उसके चन्द फिकरात पर हमें खास एतगेज़ है। आपको याद होगा कि आपकी शाया करदा किताव * हाइरोड्स आफइण्डियन हिस्टरीबुक सैकंड में इसी किस्मका एक मज़मून शाया होगया था, जिसे आपने हमारे एतराज पर और लाला शामचन्दजी की मदाखिलत से, बड़ी मेहरबानीसे बिलकुल तबदील कर दिया था,और जैनधर्म के उसूलों के ऐन. मुताबिक दूसरा मज़मून दरज किया था। तकरीबन वही एतराज़ात अब हैं: पैरा अव्वल.."और पारसनाथके फिरके में शामिल होगया। पैरा २ बिल्कुल ही बेमानी,सा है। आप खुद भी अगर बगौर पढ़ेंगे तो आपको इस पैरे के बिल्कुल मोहमिल होने का यकीन होजायगा । इबारत हस्बजैल है:- पारसनाथ जैनमत के असल बानी थे। वर्धमान ने कुछ साल इस गिरोह में गुजारे और इस के बाद एक नया फिरका कायम किया हत्ताकि इस वक्त तक वर्धमान जैन मज़हब के सर करदा गुरु माने जाते रहे और महावीर के नाम से मशहूर रहे" खामखाह सवाल पैदा होता कि (१) भगवान महावीर स्वामी ने कौन सा नया फिरका कायम किया ? (२) अगर भगवान् पारसनाथ जैनमत के असल बानी थे जैसा कि लायक मुसनिफ ने पहिले जाहिर किया है और

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