Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ अन्तस्तोष परम पूज्य गुरुदेव आचार्य तुलसी ने आगम- सम्पादन के गुरुतर कार्य का प्रकल्प और संकल्प किया। उनके वाचना - प्रमुखत्व में कार्य का शुभारम्भ हुआ । परम पूज्य गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञ ने प्रज्ञा - परिश्रम से आगमों के सम्पादन, अनुवाद और विवेचन के कार्य को आगे बढ़ाया। उसकी धारा अविच्छिन्न रूप से चल रही है । आलोचनात्मक और तुलनात्मक भाष्य के साथ आगम- सम्पादन हो रहा है इसलिए यह कार्य समय सापेक्ष है। मैं आत्मतोष का अनुभव कर रहा हूं कि हमारे धर्मसंघ के अनेक साधु-साध्वियां इस पुनीत कार्य में प्रवृत्त हैं। संविभाग हमारा धर्म है । जिन-जिन ने इस गुरुतर प्रवृत्ति में उन्मुक्त भाव से अपना संविभाग समर्पित किया है, उन सबके प्रति मैं मंगल भावना करता हूं कि उनका भविष्य इस महान् कार्य का भविष्य बने । भगवती सूत्र के प्रस्तुत हिन्दी अनुवाद के संस्करण की परिसम्पन्नता में परम पूज्य गुरुदेव महाप्रज्ञजी का मूल्यवान समय और प्रज्ञा-परिश्रम लगा है। पूज्यप्रवर के प्रति पुनःपुनः प्रणमन । प्रस्तुत संस्करण की परिसंपन्नता में परम पूज्य गुरुदेव के अतिरिक्त जिनका संविभाग रहा है, वह इस प्रकार है अनुवाद-सहभागिता सम्पादन सम्पादन - सहयोगी : साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा मुनिश्री महेन्द्रकुमार मुनि धनञ्जयकुमार : मुनिश्री महेन्द्रकुमार मुनि धनञ्जयकुमार दिनेशकुमार योगेशकुमार : -आचार्य महाश्रमण

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 546