Book Title: Bhagvana Mahavira
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 16
________________ भगवान् महावीर से पूर्व/५ के लिए गणतन्त्र की स्थापना की। इसकी स्थापना का मुख्य श्रेय विदेह के अधिपति महाराज चेटक को था। इसमें नौ लिच्छवि और नौ मल्ल-इन अठारह राज्यों का प्रतिनिधित्व था। इनमें विदेह का राज्य सबसे बड़ा था। उसकी राजधानी थी वैशाली। उसके तीन भाग थे। पहले भाग में स्वर्ण-कलश वाले चौदह हजार घर थे। मध्य भाग में रजत-कलश वाले चौदह हजार घर थे। अन्तिम भाग में ताम्र-कलश वाले इक्कीस हजार घर थे। इन भागों में क्रमश: उच्च, मध्यम और नीचे वर्ग के लोग रहते थे। वैशाली केवल लिच्छवियों की ही राजधानी नहीं थी, वह सम्पूर्ण वज्जी संघ की राजधानी थी। उसके चारों ओर दो-दो मील की अन्तराल से चार परकोटे थे। उनमें स्थान-स्थान पर दरवाजे और गोपुर बने हुए थे। उस गणतन्त्र में उग्र, भोज, राजन्य, इक्ष्वाकु (लिच्छवि) ज्ञात और कौरव-ये छह कुल संगठित थे। मल्लों का गणतन्त्र दो भागों में बंटा हुआ था। एक भाग उत्तर-पश्चिम में था, उसकी राजधानी कुशीनारा थी। दूसरा भाग दक्षिण-पूर्व में था, उसकी राजधानी पावा थी। मल्ल गणराज्य पूर्व में गंडकी नदी, पश्चिम में गोरखपुर के आसपास, उत्तर में नेपाल और दक्षिण में गंगा नदी तक फैला हुआ था। मल्ल गणतंत्र का स्वतंत्र अस्तित्व था, फिर भी उसके गणनायक शक्तिशाली वज्जी गणतंत्र के सदस्य थे। उन्हें मत देने का अधिकार था। वज्जी गणतन्त्र गंगा के उत्तर, विदेह में था। मगध और वज्जी गणतंत्र के बीच गंगा की सीमा थी। उसमें सम्मिलित राजा गणनायक कहलाते थे। महाराज चेटक उस गणतन्त्र के अध्यक्ष थे। वे बहुत बुद्धिशाली और पराक्रमी थे। गणनायकों की परिषद् गणसभा कहलाती थी। वह संविधान और नियमों का निर्माण करती थी। सभी गणनायक उसके द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार अपने-अपने राज्य का संचालन करते थे। वज्जी गणतन्त्र राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक-सभी क्षेत्रों में सम्पन्न १. वर्तमान में इसकी पहचान मुजफ्फरपुर जिले के रत्ती परगने में स्थित 'वसाद' गांव से की जाती है। २. लिच्छवि, वज्जी (संस्कृत-वृज्जि) और वैशालिक ये तीनों पर्यायवाची हैं। मनुस्मृति १०/१० में लिच्छवियों को 'व्रात्य' कहा गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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