Book Title: Bhagvana Mahavira
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 18
________________ २. गृहवास के तीस वर्ष सिद्धार्थ और त्रिशला चेटक के पिता का नाम केक और माता का नाम यशोमति था। उनकी पत्नी का नाम था पृथा । वज्जी गणतन्त्र में पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता थी। चेटक आर्हत धर्म के अनुयायी थे। वे भगवान् पार्श्व की शिक्षा का अनुशरण करते थे। कुछ गणनायक धर्म की धारणा में चेटक के साथ और कुछ गणनायक वैदिक धर्म के अनुयायी थे। उनके धार्मिक विश्वास का भेद गणतन्त्र की व्यवस्था में कहीं भी अवरोध पैदा नहीं करता था। ... - वैशाली के निकट कुंडपुर नाम का सन्निवेश था। उसके दक्षिण भाग में ब्राह्मणों की बस्ती थी, इसलिए वह ब्राह्मण-कुंडपुर कहलाता था। उसके उत्तरी भाग में ज्ञात क्षत्रियों की बस्ती थी, इसलिए वह क्षत्रिय-कुंडपुर कहलाता था। ब्राह्मण-कंडपूर के नायक का नाम था ऋषभदत्त ब्राह्मण। क्षत्रिय-कुंडपुर के स्वामी थे क्षत्रिय सिद्धार्थ । विदेह देश में भगवान् पार्श्व का धर्म बहुत प्रभावशाली था। ऋषभदत्त और सिद्धार्थ-ये दोनों ही भगवान् पार्श्व के अनुयायी थे। भारतवर्ष में श्रमण और वैदिक -इन दोनों धर्मों की स्वतन्त्र धाराएं थीं। उग्र, भोज, राजन्य, क्षत्रिय, ज्ञात, कौरव और द्राविड़-ये जातियां श्रमण धर्म की अनुयायी थी। ब्राह्मण जाति वैदिक धर्म की अनुयायी था। चिर-सहवास के बाद इन धाराओं में संगम होने लगा। क्षत्रिय वैदिक-धर्म का भी और ब्राह्मण श्रमण-धर्म का भी पालन करने लगे। ___जैन धर्म में चौबीस तीर्थंकर (धर्म-प्रवर्तक हुए हैं, वे सभी क्षत्रिय १. हरिषेणाचार्य कृत 'वृहत्कथाकोश' में चेटक की रानी का नाम सुभद्रा मिलता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only For www.jainelibrary.org

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