Book Title: Bhagvana Mahavira
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 23
________________ १२/ भगवान् महावीर स्वप्न-दर्शन देवी त्रिशला एक पुत्र को पहले जन्म दे चुकी है। उसका नाम है नन्दिवर्धन' । यह उसका दूसरा पुत्र है। इस समय उसे जितना आनन्द हुआ, उतना पहले कभी नहीं हुआ। शिशु जब गर्भ में आया, तब देवी ने पिछली रात के समय महत्त्वपूर्ण स्वप्न देखे । उस समय वह अर्द्धजागृत दशा में थी । स्वप्न-दर्शन के बाद वह जाग गई। उसने महाराजा सिद्धार्थ को जगाकर कहा- 'आज की बेला मेरे जीवन में अपूर्व है। अभी - अभी मैंने स्वप्न में हाथी देखा, वृषभ देखा, और भी बहुत कुछ देखा । मेरा मन प्रसन्न हो रहा है । चारों ओर प्रकाश और आनन्द की रश्मियां विकीर्ण हो रही हैं। क्या होगा, महाराज ! मैं नहीं जानती, पर कोई विलक्षण घटना घटित होगी, यह आभास मुझे हो रहा है । ' 1 महाराज सिद्धार्थ ने कहा- देवी ! तुमने बहुत शुभ स्वप्न देखे हैं I तुम कल्याणी हो । मुझे लगता है कि अपने कुल का बहुत बड़ा कल्याण होगा ।' महाराज ने शुभ फल की सूचना देकर देवी के उल्लास को शतगुणित कर दिया । वह अपने शयनकक्ष में चली गई। शुभ स्वप्न देखने १. दो परम्पराएं हैं। एक में नन्दिवर्धन का उल्लेख है और एक में उसका उल्लेख नहीं है । २. स्वप्न-दर्शन की दो परम्पराएं चौदह स्वप्न दर्शन १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. Jain Education International हाथी वृषभ सिंह लक्ष्मी पुष्पमाला चांद सूर्य ध्वजा कलश पद्म सरोवर क्षीर-सागर विमान रत्नपुंज अग्निपुंज सोलह स्वप्न-दर्शन १. गज २. वृषभ सिंह लक्ष्मी मावद्विक शशि सूर्य कुंभद्विक मीन युगल ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. सागर सरोवर सिंहासन देव - विमान नाग - विमान रत्नराशि निर्धूम अग्नि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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