Book Title: Bhagvana Mahavira
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 75
________________ ६४/भगवान् महावीर बिताने लगा। इस धर्म ने केवल आनन्द के जीवन को ही प्रभावित नहीं किया, उससे आनन्द का सारा सम्पर्क-क्षेत्र प्रभावित हो गया। भगवान् ने आनन्द जैसे हजारों-हजारों व्यक्ति तैयार किए। कर्मकाण्ड के मायाजाल में फंसे हुए समाज को धर्म की नई दिशा प्राप्त हो गई। भगवान् ने साधु-जीवन को बहुत प्रतिष्ठा दी, साथ-साथ गृहस्थ जीवन में धर्म-विकास के अवकाश का भी प्रतिपादन किया। भगवान् ने एक प्रसंग में कहा-'कुछ भिक्षुओं से गृहस्थों का संयम प्रधान होता है। साधना-शील साधुओं का संयम प्रधान होता ही है।' भगवान् ने धर्म की ऐसी ज्योति जलाई, जो आज भी व्यक्ति के अपने ही संयम के ईंधन से जल रही है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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