Book Title: Avashyaksutra Niryuktirev Curni Part_1
Author(s): Sundarsuri, Pramodsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text ________________
श्रीधीरसुन्दरसू० आव०अवचूर्णिः ॥१९८॥
गाथा-१० ९२-९
अह वड्ढइ सा भयवं दियलोयचुओ अणोवमसिरीओ। देवगणसंपरिवुडो नंदाइ सुमंगला सइओ ॥१९१॥
अथ वर्द्धने स भगवान् धुलोकच्युतः सन् अनुपमश्रीको-निरूपमदेहकान्तिकलितः देवगणसम्परिवृतः नन्दया सुमङ्गलया च सहित इति. ते अपि पर्द्धते इत्यर्थः ॥१९१॥
असिअसिरओ सुनयणो विबुट्टो धवलदंतपत्तीओ। वरपउमगभगोरो फुल्लुप्पलगंधनीसासो ॥१९२॥
असितसिराजः सुनयनः विम्ब-गोक्लाफलं तच्चरक्त' स्याचद्वदौष्ठौ यस्य सः, धवलदन्तपक्तिकः, वरपनगर्भ इव ग.रौ-निर्मलः, फुल्लोत्पलगन्धवनिःश्वासो यस्थ स ॥१९२॥ जतिस्मरणद्वारमाह
जाइस्सरो अ भयवं अपरिवडिएहि तिहि उ नाणेहिं । कंतीहि य बुद्धीहि य अब्भहिओ तेहि मगुएहिं ॥१९३॥
जाति स्मरतीति जातिस्मरश्च भगवान अप्रतिपतितैरेव त्रिभिर्मतिश्रुतावधिरूपै नैः कान्त्या च बुद्धया च तेभ्यस्तकालभाविभ्यो मिथुनकमनुष्येभ्योऽभ्यधिकः ॥१९३॥ अथ विवाहद्वारमाह
॥१९८॥
Jain Education Interna
For Private & Personal use only
Delibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244