Book Title: Ashtangat Rudaya
Author(s): Vagbhatta
Publisher: Kishanlal Dwarkaprasad

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विषय मंगलाचरण आयुष्कामीयनाम प्रथमोऽध्यायः आयुर्वेद जाननेका कारण आयुर्वेद की उत्पत्ति इसग्रंथ के बनानेका कारण ओश्म अष्टांगहृदय की अनुक्रमणिका । । अंगों के नाम तीनों दोषों का वर्णन दोषों की शक्ति व्यापकदोषों के स्थान दोषका काल जठराग्नि का स्वरूप चार प्रकार के कोष्ठ प्रकृति का स्वरूप बातादिदोषों के गुण धातुओं का वर्णन मलों के नाम वृद्धि ओर अपचय रसों का वर्णन रसो के गुण द्रव्य को त्रिविधत्व द्रव्य का वीर्य द्रव्य का विपाक द्रव्य के गुण रोगका कारण रोगारोग्यलक्षण तथा भेद रोग का अधिष्ठान मानसिकरोग का हेतू. रोग परीक्षा www. kobatirth.org रोगाविषेश की परीक्षाका उपाय देश भेद सूत्रस्थानम् । पृष्टांक. | विषय १ २ 33 " ३ 33 "" "" " ४ परिचारक के चारगुण रोगी के चारगुण सुखसाध्य व्याधि कृच्छ्रसाध्य व्याधि 99 35 " ५ याप्यव्याधि 53 33 " "3 33 33 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिदेश का वर्णन औषधयोजन का काल औषध के भेद औषध का विषय 59 ७ चिकित्सितस्थान के अध्याय कल्पस्थान के अध्याय 33 मानसिक दोष को परमौषध चिकित्स के चार पाद "" वैद्यके चार गुण औषध के चारगुण "" प्रत्याक्षेप व्याधि त्याज्य रोगी के लक्षण अध्यायों का अनुकम सूत्रस्थान के नाम शरीरस्थान के अध्याय निदानअध्याय के नाम "" ८ उठनेका समय निरूपण उत्तरस्थान के अध्याय दिनचर्थ्यानाम द्वितीयोऽध्यायः । दन्तधावन विधि दन्तधावन निषेध नेत्रों में सुर्माकी विधि सौतांजने का विधान नस्यादि कर्म For Private And Personal Use Only पृष्ठांक १० "" 03 39 19 ११ === १२ = = = = = === १४ १५ 3 0 2 22: १५ १६

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