Book Title: Ashtangat Rudaya
Author(s): Vagbhatta
Publisher: Kishanlal Dwarkaprasad

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । २ कोल १ सेर १ पल १ सूर्प मानिका एक सेर ४ यव १ गुज मापक एकमासा ४ गुजा १ माषा मुष्टि एकपळ | ४ माषा १ शाण बव छःसर्पप २ शाण १ कोल रक्तिका १ रत्ती १ कर्ष वा तोला लल्वन १ द्रोण २ कर्ष १ अर्द्धावपाद शराव २ अविपाद शरावाई आधासेर २ पल १प्रसृति शाण ४ मासा | २ प्रसृति १ अंजलि युक्ति ४ तोला २ अंजलि १मानिका षोडाशका १ पल २ मानिका १ प्रस्थ सर्षप ३राई ४ प्रस्थ १ आढक सुवर्ण , कर्ष ४ आढक १ द्रोण सूर्प ३२ सेर २ द्रोण १ मासा २ सूर्प १ द्रोणी त्रसरणु ३० परिमाणु ४ द्रोणी मानविषयमें ठाकुर साहव ने एक, उत्तम । १०० पल १ तुला चक्र दिया है उसे लिखते है । यह बहुत स- | २००० पल १ भार हायक होगा। यहां १ तोला अंग्रेजी तोल से १८० ग्रेन ६ त्रसरेणु १ मरीचि का होता है। ६ मरीचि १ राजिका | कालिङ्गमान का चक्र । ३ राजिका १ सर्षप | १२ सर्षप १ यव ३ सौंप १ यव २ यव १ गुंजा माषक-सुश्रुतकेमतसे मागधमानमें मा- | ३ गुंजा १ वल षारत्ती काहै चरक के मतसे छःवा आठ ८ गुंजा १ माषक रत्ती कोह सुश्रुत के मत से कालिगमान १ माषक १ शाण ५ वा ७ वा ८ रत्ती काहै अन्य वैद्यक । ६ माषक १गद्याणक ग्रन्थों में १० रत्ती काहै ज्योतिष और १०माषक १ कर्ष स्मृतिमें १२ रत्ती का माना है - वंगाली | ४ कर्ष १ पल वैद्य १२ रत्ती का मानकर काम चलातेहै | २ पल १ खारी १कुडव For Private And Personal Use Only

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