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। २ कोल
१ सेर
१ पल
१
सूर्प
मानिका एक सेर ४ यव
१ गुज मापक एकमासा ४ गुजा
१ माषा मुष्टि
एकपळ | ४ माषा
१ शाण बव छःसर्पप २ शाण
१ कोल रक्तिका १ रत्ती
१ कर्ष वा तोला लल्वन १ द्रोण २ कर्ष
१ अर्द्धावपाद शराव
२ अविपाद शरावाई आधासेर २ पल
१प्रसृति शाण ४ मासा | २ प्रसृति
१ अंजलि युक्ति ४ तोला २ अंजलि
१मानिका षोडाशका १ पल २ मानिका
१ प्रस्थ सर्षप ३राई ४ प्रस्थ
१ आढक सुवर्ण , कर्ष ४ आढक
१ द्रोण सूर्प
३२ सेर २ द्रोण १ मासा २ सूर्प
१ द्रोणी त्रसरणु
३० परिमाणु ४ द्रोणी मानविषयमें ठाकुर साहव ने एक, उत्तम । १०० पल
१ तुला चक्र दिया है उसे लिखते है । यह बहुत स- | २००० पल
१ भार हायक होगा।
यहां १ तोला अंग्रेजी तोल से १८० ग्रेन ६ त्रसरेणु
१ मरीचि का होता है। ६ मरीचि
१ राजिका | कालिङ्गमान का चक्र । ३ राजिका १ सर्षप | १२ सर्षप
१ यव ३ सौंप १ यव २ यव
१ गुंजा माषक-सुश्रुतकेमतसे मागधमानमें मा- | ३ गुंजा
१ वल षारत्ती काहै चरक के मतसे छःवा आठ ८ गुंजा
१ माषक रत्ती कोह सुश्रुत के मत से कालिगमान १ माषक
१ शाण ५ वा ७ वा ८ रत्ती काहै अन्य वैद्यक । ६ माषक
१गद्याणक ग्रन्थों में १० रत्ती काहै ज्योतिष और १०माषक
१ कर्ष स्मृतिमें १२ रत्ती का माना है - वंगाली | ४ कर्ष
१ पल वैद्य १२ रत्ती का मानकर काम चलातेहै | २ पल
१ खारी
१कुडव
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