Book Title: Arhat Vachan 2012 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 22
________________ 24. सांख्यकारिका माठरवृत्ति, चौरवम्बा सीरिज, काशी, पृ. 47 25,26. योगदर्शन व्यासभाष्य, चौरवम्बा सीरिज, काशी, पृ. 27 27. सांख्यप्रवचन भाष्य, चौरवम्बा सीरिज, काशी पृ. 47 28. 29. प्रमाणसमुच्चय दिनान, मैसूर युनिवर्सिटि सीरिज, मैसूर 1.27 न्यायवार्तिक, उद्योतकर, वही, पाद टिप्पण 2, पृ. 43 न्यायवार्तिक, वही, पाद टिप्पण 4, पृ. 107 30. 31. न्यायविनिश्चय, भट्ट अकलङ्क देव, सम्पादक, पं. महेन्द्रकुमार जैन भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, संस्करण 1947, 1.165 32. 33. 34. 35. 36. 37. 38. 39. 40. 41. 42. 43. 44. 45. 45. B 46. तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, विद्यानन्द निर्णय सागर प्रेस, बम्बई, न्यायकुमुदचन्द्र वही, पाद टिप्पण 7, पृ. 40-41 प्रमेयकमलमार्तण्ड, वही, पाद टिप्पण 8, पृ. 19 स्याद्वादरत्नाकर, देवसूरि, अर्हत् प्रभाकर कार्यालय, पूना, पृ. 72 22 प्रमाण मीमांसा, वही, पाद टिप्पण 8, पृ. 24 जैमिनीयसूत्रशावर भाष्य आनन्दाश्रम सीरिज, पूना 1.1.4 मीमांसाश्लोकवार्तिक, कुमारिल, चौरवम्बा सीरिज, काशी प्रत्यक्ष. श्लोक 1 वही प्रत्यक्ष श्लोक 16 जैमिनीसूत्र शाबर भाष्य, वही, पाद टिप्पण 39, 1.1.5 पृ. 187 मीमांसाश्लोकवार्तिक, वही, पाद टिप्पण 38, प्रत्यक्ष श्लोक 1-39 वही पृ. 151 शास्त्रदीपिका, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई. पू. 202 न्यायवार्तिक, वही, पाद टिप्पणी 2, पृ. 43 न्यायवार्तिक तात्पर्य टीका, वही, पाद टिप्पण 18, पृ. 155 देखें पाद टिप्पण 4, पृ. 100 प्रमाणसमुच्चय, दिङ्नाग, जायसवास इंस्टीटयूट, पटना, 1.37 47. 48. 49. 50. 51. 52. 53. 54. 55. 56. 57. न्यायबिन्दु, वही, पाद टिप्पण 54, 1.4 58. 59. काव्यालङ्कार, भामह, चौरवम्बा सीरिज, काशी 5.6 पृ. 32 न्यायकुमुदचन्द्र वही, पाद टिप्पण 7, पृ. 42-45 प्रमेयकमलमार्त्तण्ड, वही, पाद टिप्पण 8, पृ. 20-25 सन्मतितर्क टीका, अभयदेव, गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर, अहमदाबाद पृ. 534 प्रणाणमीमांसा, वहीं, पाद टिप्पण 21, पृ. 23 स्याद्वादरत्नाकर, वही, पाद टिप्पण 35, पृ. 381 प्रमाणसमुच्चय, वही पाद टिप्पण 28, 1.3 न्याय प्रवेश, चौरवम्बा सीरिज, काशी, पृ. 7 न्यायबिन्दु, धर्मकीर्ति जायसवाल सीरिज, पटना, 1.4 , न्यायबिन्दुवृत्ति, धर्मोत्तर, जायसवाल सीरिज, पटना तत्त्वसंग्रह, शान्तरक्षित, ओरियण्टल सीरिज, बड़ौदा, का. 1214 बौद्धदर्शन, सोमतिलक द्वारा उद्धृत, षड्दर्शन समुच्चय, भारतीय ज्ञानपीठ काशी प्रथम अर्हत् वचन, 24 (1), 2012

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