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सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। माननीय मंत्री श्री जयंत मलैया जी ने भी डॉ. अनुपम जैन को बधाई दी। इस अवसर पर मिर्जा मकसूद सा. ने आचार्यश्री के संबंध में कविता का पाठ किया।
सम्मान के प्रत्युत्तर में अपनी कृतज्ञता करते हुए डॉ. अनुपम जैन ने कहा कि 'मैं 1988 से पूज्य आचार्यश्री से सुपरिचित हूँ। उनके जीवन का एकपक्ष तो सामने आया है किन्तु दूसरा पक्ष आज भी उपेक्षित है। गुरुदेव का अध्ययन गहन/गंभीर है एवं आगम के सिद्धान्तों पर उनकी दृष्टि अत्यन्त स्पष्ट है । वे सम्यग्दर्शन के वात्सल्य अंग के तहत जब पीड़ितों की मदद करते है तब उन्हें विधर्मियों तथा हिंसक उपायों का सहारा लेने वाले पाखण्डियों के हाथ की कठपुतली बनने से बचा लेते है। पीड़ितों को स्वस्थ कर उनके जीवन की दिशा को धर्म मार्ग में प्रवृत्त कराना तथा धर्म, समाज एवं राष्ट्र के प्रति निष्ठावान नागरिक तैयार करना उनका लक्ष्य रहता है।
मात्र इतना ही नहीं उन्होंने हिन्दी एवं संस्कृत भाषा में भी विपुल परिमाण में साहित्य सृजन किया है। उनके द्वारा लिखे गये 5000 दोहे, संस्कृत की स्तुतियाँ, धार्मिक साहित्य की अमूल्य निधि हैं । उनके दोहे कबीर, रहीम, एवं भूधर की परम्परा को आगे बढ़ाते हैं। उनके द्वारा जोनि पाहुण, झाणज्झयण पाहुड आदि अनेक अज्ञात / अचर्चित प्राचीन पूर्वाचार्यों द्वारा प्रणीत ग्रंथों के अनुवाद के माध्यम से उनके उद्धार के प्रयास किये जा रहे हैं। हालही में उन्होंने 6 शतक लिखे हैं जिनमें जीवन के लिए दिशा, व्यंग्य एवं समन्वयात्मक चित्रण है। प्राचीन पांडुलिपियों की शोध-खोज में आप पिछले 7 सालों से मुझे पूरा आशीर्वाद एवं सहयोग दे रहे है। आज का पुरस्कार भी उनके, आशीर्वाद का प्रतीक है मैं उनके चरणों में विनयावनत हूँ एवं उन्हें विश्वास दिलाता हूँ कि आगे भी इस दिशा में कार्य करता रहूँगा।'
प्रशस्ति पत्र का वाचन डॉ. संजीव सराफ वाराणसी ने किया। कार्यक्रम का सशक्त संचालन डॉ. सविता जैन ने किया एवं आभार श्री डी. के. जैन ने माना ।
50 विद्वानों का सम्मान-पुरस्कार समर्पण के अवसर पर देश के 50 मूर्धन्य विद्वानों को आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। सम्मान में प्रशस्तिपत्र, साहित्य श्रीफल एवं पत्र-पुष्प समर्पित किये गये। सम्मानित प्रमुख विद्वान निम्नवत है
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पं. देवेन्द्र शास्त्री-आगरा (उ.प्र.), डॉ. रीना जैन - बीना (म.प्र.), प्रो. भागचन्द्र जैन ' भागेन्दु' - दमोह, प्रो. टीकमचंद जैन-दिल्ली, डॉ. विमला जैन 'विमल' फिरोजाबाद, श्री लालमणि प्रसाद जैन- ग्वालियर (म.प्र.), डॉ. (श्रीमती) कृष्णा जैन ग्वालियर (म.प्र.), श्री अभय बाकलीवाल - इन्दौर (म.प्र.), द्र. अनिल शास्त्री इन्दौर (म.प्र.), श्री अशोक शास्त्री - इन्दौर (म.प्र.), श्री जयकुमार जैन 'गोधा' - इन्दौर (म.प्र.), श्री जयसेन जैन - इन्दौर (म.प्र.), प्रो. पी. एन. मिश्र- इन्दौर (म.प्र.), डॉ. प्रकाशचन्द्र जैन- इन्दौर (म.प्र.), डॉ. (श्रीमती) प्रगति जैन-इन्दौर (म.प्र.), डॉ. प्रेमकुमार जैन 'शिक्षाविद् - इन्दौर (म.प्र.), प्रो. रजनीश जैन- इन्दौर (म.प्र.), श्री रमेश कासलीवाल - इन्दौर (म.प्र.), डॉ. (श्रीमती) रेखा जैन- इन्दौर (म.प्र.), डॉ. संजय जैन- इन्दौर (म.प्र.), डॉ. (श्रीमती) संगीता विनायकाइन्दौर (म.प्र.), श्री सुभाष गंगवाल - इन्दौर (म.प्र.), श्री सुभाषचंद जैन - इन्दौर (म.प्र.), श्रीमती सुमन जैन - इन्दौर (म.प्र.), श्रीमती सुरेखा जैन - इन्दौर (म.प्र.), डॉ. सुरेखा मिश्रा - इन्दौर (म.प्र.), श्री सूरज जैन - इन्दौर (म.प्र.), श्री सूरजमल बोबरा-इन्दौर (म.प्र.), डॉ. (श्रीमती) सुशीला सालगिया- इन्दौर (म.प्र.), प्रो. श्रेणिक बंडी- इन्दौर (म.प्र.), श्रीमती उषा पाटनी - इन्दौर (म.प्र.), पं. खेमचंद जैन - जबलपुर (म.प्र.), श्री पारस जैन पाटनी - कोटा (राज.), पं. राकेश जैन-कोटा, पं. लालचंद जैन 'राकेश'-ललितपुर, पं. शीतलचंद जैन 'प्राचार्य' - ललितपुर (उ.प्र.), पं. कोमलचंद्र जैन लोहारिया, पं. वृषमसेन उपाध्ये मालगांव (महा.), डॉ. देवकुमार जैन- रायपुर (छ.ग.), पं. उपेन्द्र 'अणु' ऋषभदेव केसरियाजी, पं. वारिषेण जैन 'ऋषभदेव' केसरियाजी, श्री राजेन्द्र जैन महावीर'सनावद (म.प्र.), पं. शिखरचंद जैन - सागर (म.प्र.), पं. पदमचंद जैन 'शास्त्री' साहिबाबाद, श्री सुरेश जैन 'मारौरा - शिवपुरी (म.प्र.), पं. संतोष जैन- उज्जैन, डॉ. रानी सराफ - वाराणसी, डॉ. संजीव सराफ - वाराणसी (उ.प्र.), डॉ. विवेकानंद वाराणसी (उ.प्र.) श्री उत्सव जैन-नौगामा (राज.) पूरा कार्यक्रम अत्यन्त गरिमामय एवं प्रभावी रहा। कुछ विद्वान अपरिहार्य कारणों से नहीं पधार सके।
अर्हत् वचन, 24 (1), 2012
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