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डॉ. कल्याण गंगवाल पूना को विश्व मैत्री सेवा सम्मान जैन मिलन लखनऊ द्वारा श्री पुष्पवर्षा योग समिति के अंतर्गत संस्कार प्रणेता मुनिश्री 108 सौरभ सागरजी महाराज के पावन सान्निध्य में विश्वमैत्री दिवस एवं विश्वमैत्री सेवा सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया
गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वीर सुरेश चन्द्र जैन 'रितुराज' अध्यक्ष - भारतीय जैन मिलन तथा अतिविशिष्ट अतिथि वीर पुष्पराज जैन 'पम्पी' कन्नौज, वीर राजेन्द्र कुमार जैन, कार्याध्यक्ष - भारतीय जैन मिलन मेरठ, वीर विजय कुमार जैन, कार्याध्यक्ष - भारतीय जैन मिलन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वीर शैलेन्द्र जैन उपाध्यक्ष भारतीय जैन मिलन ने की।
वीर शैलेन्द्र जैन ने विश्व मैत्री सेवा सम्मान की विषयवस्तु पर विस्तार से प्रकाश डाला। तत्पश्चात् श्रीमती चिंतामणि जैन परिवार ने स्व. सवाईलाल जी जैन कन्नौज की स्मृति में दिया जाने वाला विश्वमैत्री सम्मान वर्ष 2011 प्रख्यात चिकित्सक व शाकाहार समर्थक डॉ.कल्याण मोतीलाल जैन गंगवाल, पुणे को प्रदान किया । इस अवसर पर डॉ. कल्याण गंगवाल ने कहा कि वह भारत में ही नहीं वरन् विदेशों में भी शाकाहार का प्रचारप्रसार कर रहे हैं। इसका जन जागरण करना मेरी प्राथमिकता रही है। इसी उद्देश्य से मैंने शाकाहार से सुखी जीवन का मूलाधार विषय पर 150 चित्रों की प्रदर्शनी श्रवणबेलगोला में लगाई। मेरे प्रयास का फल है कि 25 नवम्बर को पूरे विश्व में मांस रहित दिवस मनाया गया है।
इस अवसर पर श्री पुष्पराज जैन 'पम्पी' ने तीर्थों की सुरक्षा पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इसकी रक्षा करना हम सभी जैनियों का फर्ज बनता है। उन्होंने सभी जैनियों को एकजुट होने का आव्हान किया। इस अवसर पर श्रीमती आरती जैन कन्नौज ने क्षमावाणी के विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि जैन मिलन का विस्तार सम्पूर्ण भारतवर्ष में तेजी से हो रहा है। इस अवसर पर संस्कार प्रणेता मुनिश्री 108 सौरभ सागरजी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार दूध फटने से घी खत्म हो जाता हे, मोती फटने से उसकी कीमत खत्म हो जाती है, हीरे में दरार आ जाने से उसकी कीमत खत्म हो जाती है इसी प्रकार मन फटने से प्रीत खत्म हो जाती है। उन्होंने जैनियों को एकजुट होने का आह्वान किया।धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री पी.एन.जैन ने दिया।
विद्वानों को आमंत्रण दिगम्बर आम्नाय में दो ग्रंथ (1) षट्खण्डागम एवं (2) कषायपाहुडसुत्त पर पूज्य 108 आचार्य श्री वीरसेन स्वामी ने जो टीकाएं लिखी हैं (धवल, जयधवला एवं महाधवला) वे हमारे लिए महान ज्ञान के भंडार हैं। परंतु उन टीकाओं में भी आचार्य भगवन्त ने, पूर्व से परम्परित कुछ गाथाएं प्रमाणरूप में उद्धृत की हैं। वे गाथाएं हमारे लिए आगम के मूल आधार हैं । अतः उनका संकलन हम वीर सेवा मंदिर की ओर से कराना चाहते हैं। अतः हमारा विद्वानों से अनुरोध है कि वे इस कार्य में हमें अपेक्षित सहयोग प्रदान करें। इस कार्य के लिए उन्हें मानदेय की व्यवस्था भी की जा सकती है। उक्त कार्य विभिन्न विद्वान, पृथक-पृथक खंडों को लेकर भी कर सकते हैं। इस कार्य में जो भी विद्वान जुड़ेंगे उन्हें इस पुनीत ग्रंथराज का स्वाध्याय भी होगा, जिससे उनका विशेष ज्ञानार्जन के साथ पुण्यबंध होगा। इच्छुक मनीषी विद्वान, पत्र द्वारा सम्पर्क करें ताकि यह पुनीत कार्य आगे बढ़ सके।
पं.निहाल चन्द जैन,
निदेशक - वीर सेवा मंदिर, 21, दरियागंज, नईदिल्ली-110002 दूरभाष-011-23250522
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अर्हत् वचन, 24 (1), 2012