Book Title: Arhat Vachan 2012 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 95
________________ गतिविधियाँ जम्बूद्वीप तीर्थ पर त्रिदिवसीय शरदपूर्णिमा महोत्सव में पुरस्कार समर्पण एवं संगोष्ठी आदि कार्यक्रम सम्पन्न तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघका पुरस्कार डॉ.प्रगति जैन, इन्दौर को जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के 60वें त्यागदिवस एवं 78वीं जन्मजयंती के शुभ अवसर पर दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान-हस्तिनापुर द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय शरदपूर्णिमा महोत्सव भारी हर्षोल्लास के साथ दिनांक 9-10-11 अक्टूबर 2011 को सानंद सम्पन्न हुआ। विशेषरूप से महोत्सव में अनेक प्रतिभाओं को संस्थान के विभिन्न पुरस्कारों का समर्पण तथा विद्वानों व प्रबुद्धजनों द्वारा 'खानपान एवं खानदान शुद्धि' विषय पर संगोष्ठी का सुंदर आयोजन सानंद सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रान्तों से हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर पुण्य अर्जित किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का मार्गदर्शन प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी द्वारा, निर्देशन पीठाधीश क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज तथा संयोजन कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया। कार्यक्रम में जम्बूद्वीप स्थित णमोकार महामंत्र बैंक के लेखकों को भी हीरक, स्वर्ण एवं रजत पदक से सम्मानित कर प्रमाणपत्र दिये गये। महोत्सव के द्वितीय दिवस प्रातःकाल प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज, प्रथम पट्टाचार्य श्री वीरसागर जी महाराज एवं गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी की पूजन का आयोजन भव्यतापूर्वक सम्पन्न हुआ । इस दिन मध्यान्ह में संस्थान द्वारा अनेक विभूतियों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ द्वारा प्रवर्तित "श्रीमती चंदारानी जैन स्मृति पुरस्कार2011" युवा गणितज्ञ डॉ. प्रगति जैन-इन्दौर को प्रदान किया गया, यह पुरस्कार श्री कैलाशचंद जैन आदीश कुमार जैन सर्राफ-लखनऊ परिवार द्वारा प्रदान किये गये। डॉ. प्रगति जैन ने पुरस्कार प्राप्ति पर कहा कि आचार्य वीरसेन के गणितीय अवदान पर कार्य करते समय जब मैं निराश होने लगी तब पूज्य गणिनी ज्ञानमती माता जी ने ही मुझे सम्बल प्रदान किया था। इस दिन सायंकाल में बीसवीं सदी के प्रथमाचार्य चारित्रचक्रवर्ती श्री शांतिसागर जी महाराज के वंश परम्परा के वर्तमान परिवारजनों का भव्यतापूर्वक सम्मान किया गया । इस अवसर पर आचार्य महाराज के उपस्थित परिवार में उनके पौत्र-पौत्री, नाती-नातिन, पड़पोते-पड़पोती आदि महानुभावों ने भोज, बेलगांव, पुणे, मुम्बई, कोल्हापुर आदि स्थानों में लगभग 30 की संख्या में पधारकर संस्थान का सम्मान स्वीकार किया। कार्यक्रम में गतवर्ष शांतिसागर वर्ष के अन्तर्गत कार्यक्रम करने वाले महानुभावों के साथ अ.भा. महिला संगठन को भी सम्मानित किया गया। मुख्यरूप से 11 अक्टूबरशरदपूर्णिमा को प्रातःकाल जम्बूद्वीप स्थित सुमेरुपर्वत के समस्त 16 भगवन्तों का भव्य मस्तकाभिषेक आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने सिद्ध भगवन्तों का अभिषेक करके पुण्य अर्जित किया। कार्यक्रम में विशेषरूप से संस्थान का सर्वोच्च पुरस्कार "गणिनी ज्ञानमती पुरस्कार'" महाराष्ट्र सरकार के जल संसाधन विभाग में मुख्य इंजीनियर तथा सेकेट्री के पद पर कार्यरत इंजी. श्री हीरालाल तात्या जैन मेंढे गिरि-मुम्बई को प्रदान किया गया। इस पुरस्कार में उन्हें 1 लाख रुपये की राशि के साथ तिलक, पगड़ी, शॉल, अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह आदि से सम्मानित किया गया। -जीवन प्रकाश जैन अर्हत् वचन, 24 (1), 2012 95

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