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हो, तभी दिगम्बरत्व के इतिहास की रक्षा हो सकेगी। पूज्य मुनि श्री अभयसागरजी महाराज प्रतिवर्ष समाधिस्थ / दीक्षित साधुओं की पूर्ण सूची बनाकर प्रकाशित कराते है । यह इतिहास की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है ।
संस्कार सागर की इस वर्ष की सूची में भी शताधिक साधुओं के वर्षायोग स्थल ही पता नहीं चले ? सूचना एवं संचार क्रांति के युग में हम अपने गुरुओं की वर्षायोग में भी स्थिति पता नहीं लगा पा रहे, इससे ज्यादा दुःखद क्या होगा ?
वर्तमान में साधनारत अनेक मुनियों की गुरु परम्परा ही पता नहीं चलती। कुछ वर्षों से मेरे मन में यह विचार था कि वर्तमान में साधनारत संतों की गुरु परम्परा के बारे में जानकारी संकलित की जाये। प्रथम चरण में वर्तमान आचार्यों की जानकारी संकलित करने का वर्ष 2008 में महावीर ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित अ.भा.दि. जैन मन्दिर निर्देशिका में एक प्रयास किया था। अब पुनः उसे परिमार्जित कर प्रस्तुत कर रहा हूँ संभव है कि कुछ त्रुटि रह गई हो। सुधी पाठक पूज्य गुरुजन एवं वरिष्ठ श्रावक इस ओर ध्यान अवश्य दिलावे जिससे इस ऐतिहासिक जानकारी को निर्दोष बनाकर सुरक्षित किया जा सके ।
सिद्धांततः वर्तमान के सभी दि. मुनि भगवान महावीर, गौतम गणधर एवं आचार्य कुन्दकुन्द की परम्परा के हैं तथापि बीसवी सदी में विश्रृंखलित मुनि परम्परा को पुनर्व्यवस्थित करने एवं दि. मुनियों के दक्षिण से उत्तर तक निर्बाध विहार को सुनिश्चित करने में बीसवी सदी के प्रारम्भ में 3 आचार्यों का विशेष योगदान है ।
1. चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी (दक्षिण)
2. मुनिकुञ्जर आचार्य श्री आदिसागरजी 'अंकलीकर'
3. आचार्य श्री शांतिसागरजी ( छाणी)
वर्तमान में साधनारत सभी साधु इन्हीं 3 की शिष्य प्रशिष्य परम्पराओं से सम्बद्ध हैं। इनको चार्ट के माध्यम से आगामी पृष्ठों पर अंकित किया गया है। यदि किसी वर्तमान या दिवंगत आचार्य का नाम छूट गया हो तो हमें अवश्य सूचित करने का कष्ट करें। वर्तमान आचार्यों के नामों को बोल्ड अक्षरों में लिखा है । शेष आचार्य संभवतः समाधिस्थ हो चुके हैं या उनकी जानकारी हमें नहीं हो सकी है। त्रुटि के लिए अग्रिम क्षमायाचना ।
कतिपय आचार्य अपने को महावीर की परम्परा का बताकर बात को घुमा देते हैं। वस्तुतः उनके दीक्षा गुरु जिस परम्परा के है हमने उन्हें उसी परम्परा का माना है। हमारा प्रयास है कि इस सूची के माध्यम से वर्तमान के सभी आचार्यों का विवरण संकलित हो जाये एवं आगामी 2012 के वर्षायोग में सभी आचार्यों से सघन सम्पर्क कर उनकी परम्परा के साधनारत समस्त मुनियों / आर्यिकाओं / क्षुल्लक / क्षुल्लिकाओं का विवरण संकलित किया जाये। फिलहाल भट्टारक स्वामी जी महाराजों को इस सूची में नहीं लिया है दि मुनि परम्परा का व्यवस्थित विवरण संकलित करना हमारा प्राथमिक नैतिक कर्त्तव्य है यदि हम इसमें विफल रहे तो इतिहास हमें क्षमा नहीं करेगा। आशा है कि सभी का सहयोग हमें प्राप्त होगा। आगामी पृष्ठों पर आचार्य परम्परा का विस्तृत विवरण दिया है ।
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अर्हत् वचन 24 (1) 2012
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