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जिसकी लिपि नागरी भाषा संस्कृत है। लेख का पाषाण छिल गया है । लेख का पाठ इस प्रकार है
सवत् .................. माघ ............र्य ......
शान्तिनाथ - सोलहवें तीर्थंकर शांतिनाथ की प्रतिमा बदनावर जिला धार से प्राप्त हुई है। (स.क्र.42-69) तीर्थंकर कायोत्सर्ग मुद्रा में अंकित है। तीर्थंकर प्रभामण्डल, लम्बे कर्ण चाप, वक्ष पर श्रीवत्स से सुसज्जित है। पादपीठ पर दोनों ओर चंवरधारी शिल्पांकित हैं। इनके एक हाथ में चंवर दूसरा हाथ कट्टया वलम्बित है। वैमुकबुट, कुण्डल, हार, मेखला आदि आभूषणों से सुसज्जित है। पादपीठ पर तीर्थंकर शांतिनाथ का ध्वज लांछन हिरण का रेखांकन है। काले पत्थर पर निर्मित 125x61x 30 सें.मी. आकार की प्रतिमा के पादपीठ पर विक्रम संवत् 1332 (ईस्वी सन् 1275) का दो पंक्ति का लेख उत्कीर्ण है। जिसकी लिपि नागरी, भाषा संस्कृत है । लेख में इस प्रतिमा की संवत् 1332 में प्रतिष्ठा कराने वाले उसे नित्य प्रणाम करते है। लेख का पाठ इस प्रकार है -
(संवत्) 1332 वर्षे .. ............ एत (एते) प्रणम (म) ति नित्यं ।
शान्तिनाथ - तीर्थंकर शांतिनाथ की यह प्रतिमा धार से प्राप्त हुई है (सं.क्र.85) । कायोत्सर्ग मुद्रा में शिल्पांकित है, किन्तु दोनों हाथ भग्न है। तीर्थंकर के सिर पर कुन्तलित केश, लम्बे कर्णचाप व वक्ष पर श्रीवत्स का अंकन है। दोनों और चंवरधारी खड़े हैं, जो एक हाथ में चंवर दूसरा हाथ कट्यावलाम्बित है । ग्रेनाईट पत्थर पर निर्मित 120 x 40x24 से.मी. आकार की प्रतिमा के पादपीठ पर लगभग 12वीं शती ईस्वीं का एक पंक्ति का लेख उत्कीर्ण है, जिसकी लिपि नागरी भाषा संस्कृत है। लेख में माथुरान्वय के आचार्य माधव चन्द्र संवत् ............ माघ वदि पंचमी को प्रतिष्ठा सम्पन्न करके प्रतिमा की वन्दना करते है। लेख का पाठ इस प्रकार है -
............. माघ वदि 5 माथुर ....... (अन्वये) प्रणमति आचार्य माधवचंद्रो ।
मुनि सुव्रतनाथ - बीसवें तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ की यह प्रतिमा धार से प्राप्त हुई है। पद्मासन मुद्रा में निर्मित तीर्थंकर का पादपीठ ही है। पाषाण पर (ईस्वी सन् 1166) का लेख उत्कीर्ण है, जिसकी लिपि नागरी भाषा संस्कृत है। लेख में हजार संख्यक अंक का पाषाण खंडित हो गया है, इसमें संवत् 1223 माघ सुदि सप्तमी को प्रतिष्ठा कराकर प्रतिष्ठाकारक नित्य प्रणाम करता है। लेख का पाठ इस प्रकार है - संवत् (1) 223 वर्षे माघ सुदि 7.... प्रणमति नित्यं ।
तीर्थकर - लांछन विहीन तीर्थंकर की यह प्रतिमा धार से प्राप्त हुई है। (सं.क्र.72) पद्मासन की ध्यानस्थ मुद्रा में तीर्थंकर प्रतिमा के सिर पर कुन्तलित केश, लम्बे कर्ण चाप, वक्ष पर श्रीवत्स का अंकन है। संगमरमर पत्थर पर निर्मित 110x89x 50 सें.मी. आकार की प्रतिमा के पादपीठ पर लगभग 12वीं शती ईस्वी का लेख उत्कीर्ण है। जिसकी लिपि नागरी भाषा संस्कृत है। लेख का पाठ इस प्रकार है - ........... आचार्य प्रणमति ..........
तीर्थकर - यह तीर्थंकर प्रतिमा धार से प्राप्त हुई है। (सं.क्र. 77) पद्मासन की ध्यानस्थ मुद्रा में है। तीर्थंकर का सिर व हाथ भग्न है। पत्थर पर निर्मित 60 x 30 x 53 सें.मी. आकार की प्रतिमा के पादपीठ पर लगभग 12वीं शती ईस्वी का लेख उत्कीर्ण है जिसकी लिपि नागरी भाषा संस्कृत है। 4 लेख का वाचन इस प्रकार है।
अर्हत् वचन,24(1),2012