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श्री लाट वागरसंघे पंडिताचार्य श्री कलवडाः ॥ श्री गर्दनीय गेसवादि ल चुतऊ आके प्रणमति नित्यं ।
तीर्थंकर - यह तीर्थंकर प्रतिमा धार से प्राप्त हुई है। (स.क्र. 90 ) स्तम्भ युक्त गवाच्छ के अंदर तीर्थंकर अंकित है। सिर पर कुन्तलित केश, लम्बे कर्ण चाप, वक्ष पर श्रीवत्स है। दांयी तरफ मकर व्याल व बायी तरफ सिंह व्याल का अंकन है। काले पत्थर पर निर्मित 25 x 33 x 16 सें.मी. आकार की प्रतिमा के पादपीठ पर लगभग 12वीं शती ईस्वी का एक पंक्ति का लेख उत्कीर्ण है, जिसका अंतिम अंश मात्र सुरक्षित है। शेष लेख भाग का पाषाण टूट गया है, लेख की लिपि, नागरी, भाषासंस्कृत है । 15 लेख का पाठ इस प्रकार है -
प्रणमति नित्यं ।
तीर्थंकर के पैर - तीर्थंकर प्रतिमा के पैर से संबंधित शिल्पखंड धार से प्राप्त हुआ है। (सं.क्र. 81) इस प्रतिमा की केवल जंघा एवं आसन मात्र शेष है। काले पत्थर पर निर्मित 78 x 56 x 17 से.मी. आकार की प्रतिमा पर लगभग 12वीं शती का एक पंक्ति का लेख उत्कीर्ण है, जिसकी लिपि नागरी भाषा संस्कृत है। लेख में केवल लिंगसुत पंडिताचार्य पढ़ा जा सका है।" लेख का पाठ इस प्रकार है
पंडिताचार्य लिंग सुत
धार संग्रहालय में सुरक्षित अभिलेखित परमार कालीन प्रतिमाएं काफी महत्वपूर्ण है। इन प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों से प्राचीन धारा नगरी एवं निकटवर्ती बदनावर प्राचीन वर्धमानपुर में परमार काल में जैन मूर्तिकला एवं जैन धर्म के प्रसार-प्रचार पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है।
संदर्भ सूची
1. Report on Archaeological work in Dhar State, 1902-3
2.
लन्दन में इस प्रतिमा की सर्वप्रथम पहिचान राय बहादुर के. एन. दीक्षित ने की थी। कलकत्ता से प्रकाशित रूपम पत्रिका (1924 पृष्ठ 3 पर) में उन्होंने उसका परिचय भी छपवाया।
Epigraphia India, जिल्द 3 पृष्ठ 96 ।
Indian Archaeoclogy: A Review, 1956-57 पृष्ठ 9-101
चन्द्रवंशी डी. एन. सिंह, जिला संग्रहालय धार, Malwa through the Ages (एम.डी. खरे द्वारा सम्पादित) भोपाल
44-45
3.
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6.
7.
8.
9.
जैन कस्तूर चन्द्र 'सुमन', भारतीय दिगम्बर जैन अभिलेख और तीर्थ परिचय : मध्यप्रदेश 13वीं शती ईस्वी तक, दिल्ली 2001, पृ. 287, क्रं. 280
पाठक नरेश कुमार, 'मध्यप्रदेश का जैन शिल्प, इन्दौर, 2001, पृष्ठ 42
जैन कस्तूर चन्द्र 'सुमन' पृष्ठ 242-43 क्रमांक 233
पाठक नरेश कुमार, पृष्ठ 42 एवं जैन कस्तूर चन्द्र 'सुमन' पृष्ठ 242 क्रमांक 232 जैन कस्तूरचन्द्र 'सुमन', पृष्ठ 288 क्रमांक 281 एवं पाठक नरेश कुमार, पृष्ठ 42 पाठक नरेश कुमार, पृष्ठ 43 एवं जैन कस्तूरचन्द्र 'सुमन' पृष्ठ 241 क्रमांक 230 जैन कस्तूर चन्द्र 'सुमन', पृष्ठ 192 क्रमांक 178 एवं पाठक नरेश कुमार, पृष्ठ 42 पाठक नरेश कुमार, पृष्ठ 44 एवं जैन कस्तूर चन्द्र 'सुमन' पृष्ठ 239 क्रमांक 227 पाठक नरेश कुमार, पृष्ठ 41
10.
11.
12.
13.
14.
15. जैन कस्तूरचन्द्र 'सुमन', पृष्ठ 241-42
16.
60
जैन कस्तूर चन्द्र 'सुमन', पृष्ठ 240 क्रं. 229
प्राप्त : नवम्बर 2011
अर्हत् वचन 24 (1), 2012
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