Book Title: Arhat Vachan 2012 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 25
________________ अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर वर्ष - 24, अंक - 1, जनवरी-मार्च - 2012, 25-30 जल पर शोध का प्रयोजन और स्थिति । जीवराज जैन* सारांश जैन दर्शन में जलकायिक जीव को पाँच स्थावर जीवों में से एक माना गया है। विज्ञान इसे मात्र H,0 के रूप में एक रसायन मानता रहा। आधुनिक वैज्ञानिक खोजों ने इसमें जीवन की पुष्टि की है। जलकायिक जीवों एवं जल पर आश्रित त्रस जीवों के घात को रोकने के उपायों, मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु इनकी उपयोगिता, पारम्परिक जैन विधियों विशेषतः सचित्त से अचित्त करने की रीतियों की सविस्तार चर्चा प्रस्तुत आलेख में है। - सम्पादक अ) जैन धर्म की वैज्ञानिकता - हम सभी गर्व से यह कहते नहीं थकते कि हमारा धर्म बहुत वैज्ञानिक है। लेकिन बच्चों को लगता है कि हम झूठा घमण्ड कर रहे हैं। क्योंकि स्कूल का एक जैन छात्र यह तो जानता है कि जैनी लोग पानी और अग्नि को जीव मानते हैं। लेकिन विज्ञान में पानी और अग्नि को जीव मानने की कोई भी अवधारणा नहीं है। कई साधुओं से या कुछ श्रावकों से यह कई बार सुनने को मिलता रहता है कि जैन विज्ञान के अनुसार पानी की एक बूंद में असंख्यात अपकाय के जीव होते हैं तथा अब तो विज्ञान भी मानता है कि पानी की एक बूंद में 36450 जीव होते है। लेकिन यह एक बहुत ही भ्रामक और गलत उदाहरण है। इससे हमें आगम की अशातना ही लगती है। वास्तव में एक खोजी ब्रिटानी युवक केप्टन स्कोर्सबी ने गंगा जल के एक नमूने का खुर्दबीन से निरीक्षण किया था। उस पानी के नमूने के एक जल बूंद में त्रसकाय व वनस्पति काय के कुल 36450 जीव देखे गये थे। यहां यह बात ध्यान में रखें कि 1. यह संख्या अलग-अलग प्रकार के पानी के नमूनों में अलग-अलग होगी। यहां तक कि जीरो-बी (फिल्टर पानी) में यह शून्य भी हो सकती है। यह तथ्य विज्ञान और आगम दोनों को मान्य 2. लेकिन जैन विज्ञान तो अपकाय के जीवों की संख्या की बात करता है । न कि उसमें घूम रहे त्रसकाय के जीवों की बात करता है। यानि ऐसा जीव, जिस की पानी ही काया है। और ऐसे जीव की विज्ञान में अभी तक कोई भी अवधारणा नहीं है। 3. यदि आज के शक्तिशाली खुर्दबीन से निरीक्षण करेंगे तो पानी के किसी नमूने में लाखों/ करोड़ों जीव पाये जा सकते हैं। 4. विज्ञान पानी को केवल एक साधारण रसायन H,0 ही मानता है। जीवन के लिए आवश्यक और मूलभूत कोई भी रसायन (DNA और RNA) उसमें नहीं होता है। 36450 त्रसकाय के जीवों के आधार पर लोगों को यह कहना कि आज-कल विज्ञान भी पानी *40, कमानी सेन्टर, द्वितीय तल, बिस्तुपुर, जमशेदपुर 831001 झारखंड

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