Book Title: Arhat Vachan 2012 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ संदर्भ - 1. ला. बिमल चरण, 1984, Historical Geography of Ancient India, ओरियंटल, रीप्रिन्टनईदिल्ली। ला. बिमल चरण, 1938, Rajgrah in Ancient Literatures, मेम्यार ऑफ दि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, दिल्ली, संख्या 58, पृ. 17, 28-331 सिंह उमेश कुमार, 2009, प्राचीन भारतीय दुर्ग संरचना, कला प्रकाशन, वाराणसी, पृ. 1-21 कनिंघम, एलेक्जेंडर, 1963. The Ancient Geography of India, वाराणसी, इण्डोलॉजिकल बुक हाऊस, पृ. 530 1 वार्टस ओन (?) Yuan Chwang Travels in India, लंदन, भाग 2 पृ. 159 160 1 बील.एस. 1906, Buddhist Record of World, खंड 1, 2, केगनपाल ट्रेंच टूवनर्स कंपनी, लंदन। महाभारत, सभापर्व, अध्याय 2 श्लोक 2 गीता प्रेस, गोरखपुर। ला. बी.सी. 1938, तत्रैव, पृ. 3 2. 3. 4. 5. 6. 7. विविधतीर्थ कल्प, पृ. 22 1 8. कल्पसूत्र, अनु. के. सी. ललवानी, 1979, दिल्ली, पृ. 69 9. जैन बलभद्र 1975, भारत में दिगम्बर जैन तीर्थ, द्वितीय भाग, बम्बई, पृ. 82-831 10. घोष, मलानन्द, 1951, राजगीर 1950 Ancient India, संख्या 7, पृ. 36-38, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नईदिल्ली। कुरैशी, मुहम्मद हमीद 1956 (संशोधित ए. घोष) राजगीर, मैनेजर ऑफ पब्लिकेशंस, दिल्ली पृ. 8-16 1 11. घोष, ए. 1951, तत्रैव, पृ. 10-221 चक्रवर्ती, दिलीप कुमार 1976, राजगृह, World Archaeology, संख्या 7, पृ. 261-2681 12. घोष, ए. 1951, तत्रैव, पृ. 33 । 13. घोष, ए. 1951, तत्रैव, पृ. 34-351 14. कनिंघम, ए. 1963 तत्रैव पू. 530 | 15. जैन बलभद्र 1975, तत्रैव, पृ. 100 विविध तीर्थ पृ. 22 1 16. पाटिल, डी. आर. 1963, The Antiquarians Remains in Bihar, पटना: डाइरेक्ट्रेट ऑफ म्यूजियमस, पृ. 450 4521 17. चंदा, राम प्रसाद 1925-26, Jain Remains at Rajgiri, आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया एनुअल रिपोर्ट, दिल्ली, पृ. 121-1271 18. जैन बलभद्र 1975, तत्रैव, पृ. 100 / 19. कनिंघम, ए. (1862 1865), Archaeological Survey of India Report, खंड 1, वाराणसी, पृ. 35 I 20. पाटिल, डी. आर. 1963, तत्रैव, पृ. 452-4521 21. चंदा, आर.पी., 1925 1926, तत्रैव, पृ. 125-127 | 22. तिवारी, मारूति नन्दन प्रसाद 1978, जैन प्रतिमा विज्ञान, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी, पृ. 501 घोष, ए. (सम्पा.) 1974-75, Jaina Art & Architecture, तीन खंड, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली। तिवारी एम.एन.पी. (?) जैन तीर्थकरों की द्वितीर्थी मूर्तियों का प्रतिमा निरूपण, जैन सिद्धांतभास्कर, आरा, खंड 30, अंक 1, पृ. 33-401 प्राप्तः 25.07.11 38 अर्हत् वचन, 24 (1), 2012

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102