Book Title: Arhat Vachan 2012 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 40
________________ चषक तथा हल और एक भुजा सर्पफणों के पास है। कृष्ण की तीन अवशिष्ट भुजाओं में गदा, शंख व फल है। ' प्रारम्भिक काल की शिल्प कलाकृतियों में कुषाणकाल की मूर्तिशिल्प की विशेषताएं ही गुप्तकाल में भी दिखलाई पड़ती हैं। गुप्तकाल के बाद पूर्व मध्यकाल में जैन प्रतिमाओं का निर्माण अधिक संख्या में हुआ। इस युग विशेष में तीर्थंकरों के साथ उनके उपासक, शासन देवता, वृक्ष, लांछन तथा मूर्तियों को आभूषणों से सजाने की परम्परा भी चल पड़ी तथा तीर्थकरों के अपने यक्ष एवं यक्षी भी निर्धारित हो गये।" चित्र संख्या 1 मथुरा के चौरासी टीला से प्राप्त दसवीं शती ई. की नेमिनाथ की एक प्रतिमा मथुरा संग्रहालय में संग्रहीत है, नेमिनाथ ध्यानमुद्रा में बैठे हैं इनके पार्श्व में चतुर्भुजी कृष्ण व बलराम अंकित है । बलराम एक बड़ी सी वनमाला पहने हुए हैं। इनके हाथ में चषक व आयुध है तथा कृष्ण के हाथों में गदा, शंख तथा एक हाथ वरद मुद्रा में एवं दूसरा हाथ जानू पर अवस्थित है । बटेश्वर (आगरा) से प्राप्त दसवीं शती ई. की एक ध्यानस्थ नेमिनाथ की प्रतिमा लखनऊ संग्रहालय में संग्रहीत है, यहाँ नेमिनाथ के पार्श्व में चामरधरों के समीप में द्विभुजी बलराम व कृष्ण अंकित हैं । बलराम के दायें हाथ में चषक एवं बायें हाथ में आयुध स्पष्ट नहीं हैं, परंतु कृष्ण के दाहिने हाथ में शंख व बायां हाथ जानु पर अवस्थित है। कटरा (राजस्थान) से प्राप्त दसवीं शती ई. की एक नेमिनाथ की प्रतिमा भरतपुर संग्रहालय में संग्रहीत है। यहाँ इनका सिंहासन अलंकृत है तथा लांछन शंख बना है इसके पार्श्व भाग में बलराम व कृष्ण आभूषणों से सुशोभित दिख रहे हैं। बलराम द्विभुज हैं उनके बायें हाथ में गदा का टूटा हुआ हत्था है, बायां हाथ खण्डित है, कृष्ण का मुख भी खंडित है तथा बायां पैर घुटने के ऊपर से खंडित है | देवगढ़ मंदिर संख्या दो में दसवी शती ई. की नेमिनाथ की एक प्रतिमा सुरक्षित है। नेमिनाथ कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े हैं इनके पैर के पास दो चामरधारी सेवक खड़े हैं साथ ही द्विभुज यक्ष और बाँयी तरफ अम्बिका अवस्थित हैं। नेमिनाथ के दाहिने हाथ से सटे बलराम की मूर्ति पांच सर्पफणों से ढँकी है। इनके बाँयी तरफ कृष्ण चतुर्भुजी है जो घुटने तक वनमाला पहने हुए हैं साथ ही मस्तक पर किरीट मुकुट सुशोभित हैं इनके अवशिष्ट तीन हाथों में चक्र, शंख तथा गदा तथा एक हाथ जानु पर है। नेमिनाथ की एक प्रतिमा देवगढ़ से प्राप्त हुई है जो लखनऊ संग्रहालय में संग्रहीत है। यहाँ नेमिनाथ कायोत्सर्ग मुद्रा में हैं। इनके पार्श्व में तीन तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं, इनके कंधे के दोनों तरफ कृष्ण बलराम अंकित हैं, दाहिने तरफ बलराम के सिर पर तीन सर्पफणों के छत्र हैं, बलराम 40 अर्हत् वचन 24 (1), 2012 ,

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