Book Title: Arhat Vachan 2012 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 35
________________ पत्थर की एक मूर्ति मिली है जो अब चौमुखी मूर्ति के नाम से प्रसिद्ध है क्योंकि मूर्ति के चारों फलकों पर एक-एक तीर्थंकर की नग्न आकृति उत्कीर्ण है। प्रत्येक तीर्थंकर की मूर्ति के नीचे क्रमशः वृषभ, गज, अश्व और कपि पशुओं की आकृतियां निर्मित है, जो यह प्रमाणित करती है कि ये चार तीर्थंकर मूर्तियां प्रथम चार जैन तीर्थकरों ऋषभदेव, अजितनाथ, सम्भवनाथ और अभिनन्दन की हैं। प्रत्येक तीर्थंकर की मूर्ति के नीचे दो पशु आकृतियों के बीच में धर्मचक्र बना है। इस मूर्ति और अभिलेख से यह प्रमाणित होता है कि सोनभंडार गुफा तीसरी चौथी शताब्दी ई. में जैन आचार्यों के आवास हेतु बनवाई गयी होगी । वैभारगिरि महावीर मूर्ति दूसरी गुफा पहली गुफा के पूर्व में है । यह भी प्रथम गुफा के समकालीन रही होगी। इसका फर्श थोड़ा नीचा है। यह गुफा साढ़े बाइस फुट लंबी और सत्रह फुट चौड़ी है। इस गुफा की छत पूर्णरूपेण नष्ट हो चुकी है। सम्भवतः इस गुफा के ऊपर जाने के लिए दायी और पहाड़ी में सीढ़ियां कटी हुई है।" इस गुफा की दीवारों पर भी जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां बनी है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन गुफाओं के सामने बरामदे भी थे। गुफाओं की दीवार के ऊपर एक ओर से दूसरी ओर तक छिद्र बने हैं। इनमें संभवतः लकड़ी की धनियां लगाई गई होगी। इस प्रकार सोनभंडार गुफाएं केवल पहाड़ को काटकर ही नहीं बनाई गई वरन इसमें धन्नियों का प्रयोग करके संरचनात्मक निर्माण शैली का प्रयोग भी हुआ था। अधिकांश इतिहासकारों ने सोनभंडार गुफाओं को पूर्व गुप्तकालीन और जैन धर्म से संबंधित मानते है। परंतु यहां यह उल्लेखनीय है कि पश्चिमी गुफा का प्रवेश द्वार बराबर की पहाड़ी पर निर्मित मौर्यकालीन लोमश ऋषि के समान है तथा इसकी भी द्वार शाखाएं भीतर की ओर झुकाव लिए हुए ढालू या तिरछी बनाई गई है और आधार की अपेक्षा प्रवेश द्वार के ऊपर की चौड़ाई लगभग 15 सें.मी. से कम है। द्वार शाखा की ऊँचाई लगभग 2 मी. है। गुफा की छत 3.45 मी. ऊँची है। जिसका ढोलाकार भाग लगभग डेढ़ मी. ऊँचा है। डी. आर. पाटिल के अनुसार इस गुफा की वास्तुगत विशेषताएं बराबर की गुफा में उपलब्ध है, जो राजगृह से लगभग 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इस प्रकार लोमश ऋषि गुफा से सोनभण्डार गुफा की तुलना करने पर ये दोनों गुफाएं समकालीन प्रतीत होती है और इस आधार पर इस गुफा की तिथि मौर्य काल या इससे पूर्व निर्धारित की जा सकती है। अर्हत् वचन, 24 (1), 2012 35

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