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कवि का चित्र अंकित है।
मंदिर का चित्र अंकित है। उल्लेखनीय है कि भगवान महावीर का निर्वाण दीपावली के दिन ही हुआ था।
अब देखें जैन मूर्तियों पर जारी डाक टिकटें। कर्नाटक प्रदेश के हासन जिले में श्रवणबेलगोला नगरी में विंध्यगिरि पर्वत पर गोमटेश्वर के नाम से विख्यात 57 फुट ऊँची भगवान बाहुबली की अत्याकर्षक विशाल मूर्ति स्थित है। प्रत्येक बारह वर्ष में इस मूर्ति का महामस्तकाभिषेक होता है। सन् 1981 में इस मूर्ति के निर्माण के एक हजार वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित महामस्तकाभिषेक में कई लाख लोग एकत्रित हुये थे। इस अवसर पर 9 फरवरी 1981 को एक सुन्दर बहुरंगी डाक टिकट (क्रमाँक छ:) जारी की गई थी जिस पर गोम्मटेश्वर बाहुबली का चित्र अंकित है।
1 जुलाई 1966 को भारत सरकार ने तृतीय नियत डाक टिकट माला जारी की थी। इस श्रृंखला की एक रूपये मूल्य की टिकट (क्रमांक सात) पर पत्र लिखती सुन्दरी की जिस मूर्ति का चित्र अंकित था वह मूर्ति खजुराहो (म.प्र.) के पार्श्वनाथ जैन मन्दिर में स्थित है। इसी प्रकार 27. जुलाई 1978 को कच्छ संग्रहालय पर बहुत ही आकर्षक डाक टिकट (क्रमांक आठ) जारी की गई थी। उस पर जो ऐरावत हाथी अंकित था वह कलाकृति गुजरात के एक प्राचीन जैन मंदिर से कच्छ संग्रहालय में लाई गई थी।
महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय द्वारा स्थापित बड़ौदा संग्रहालय की शताब्दी के अवसर पर 20 दिसम्बर 1994 को भारतीय डाक विभाग द्वारा ग्यारह रूपये और छ रूपये मूल्य की जुड़वाँ टिकटें (सी - टेनेन्ट) जारी की गई थी। इन जुड़वाँ टिकटों (क्रमांक बारह) पर बड़ौदा संग्रहालय में संग्रहीत भगवान ऋषभदेव की श्वेताम्बर आम्नाय की काँस्य की खड्गासन मूर्ति अंकित है। छठवीं शताब्दी की मूर्ति के दोनों ओर यक्ष - यक्षिणी की पद्मासन मूर्तियाँ भी बनी हुई है।
विश्व प्रसिद्ध खजुराहो मंदिरों की स्थापना का सहस्राब्दि वर्ष मार्च 1999 से मार्च 2000 तक मनाया जा रहा है। सहस्त्राब्दि वर्ष का उदघाटन 6 मार्च 1999 को राष्ट्रपति महामहिम के. आर. नारायणन ने किया था। इसी दिन भारतीय डाक विभाग ने पंद्रह रूपये मूल्य की एक आकर्षक डाक टिकट (क्रमांक पंद्रह) जारी की थी। इस टिकट पर पार्श्वनाथ जैन मंदिर में स्थित पैर से काँटा निकालती हुई सुन्दरी का सुन्दर चित्र अंकित है।
__ जैन धर्मावलंबियों ने विज्ञान, शिक्षा, उद्योग, समाजसेवा आदि सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। हर क्षेत्र में अनेक जैन महापुरुषों का योगदान रहा है। इनमें से कुछ की स्मृति में भारत में डाक टिकट जारी किये गये हैं। अब हम चलते हैं जैन महापुरुषों पर जारी इन डाक टिकटों की ओर।
___ जैन मुनि मिश्रीलाल जी ने श्वेताम्बर (स्थानकवासी) भिक्षु परम्परा में श्रमण दीक्षा ग्रहण की थी। वे संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, उर्दू, राजस्थानी भाषा के प्रकाण्ड विद्वान थे
और उन्होंने 180 से अधिक दार्शनिक - सामाजिक रचनायें की। उनकी स्मृति में 24 अगस्त 1991 को जारी डाक टिकट. (क्रमांक नौ) पर मुनिजी के साथ ही जैतारण (राजस्थान) में निर्मित उनकी समाधि मरूधर केसरी पावन धाम का चित्र भी अंकित है। .
सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक श्री विक्रम अम्बालाल साराभाई तथा प्रख्यात शिक्षा शास्त्री
अर्हत् वचन, जनवरी 2000