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1929 महावीराचार्य एवं नेमिचन्द्राचार्य के गणितीय अवदान पर भी आपने लेख लिखे हैं। विस्तृत विवरण हेतु देखें : A Brief Survey of Work done on Jaina Mathematics. by A. Jain, Tulsiprajna,
Ladnun, || (1-3), PP 15-27, 1983 6. Singh, A.N., Mathematics of Dhavala, Dhavala Book IV, Amravati, 1941
धवला का गणित, धवला पुस्तक - 5 के साथ प्रकाशित, अमरावती, 1945 7. Singh, A.N., History of Mathematics in India from Jaina Sources, The Jaina Antiquary
(Arrah), 15 (II) 46-53, 1949, 16 (11) 55-69, 1950 8. यतिवृषभ (आचार्य), तिलोयपण्णत्ती भाग -2, संपादक - डॉ.हीरालाल जैन, आ. ने. उपाध्ये, सोलापुर, 1948,
1953, आर्यिका विशुद्धमती कृत टीका सहित, कोटा, भाग 1-3, 1984 - 1988 9. लक्ष्मीचन्द्र जैन, तिलोयपण्णत्ती का गणित, अन्तर्गत जम्बुद्दीवपण्णत्तिसंग्रहो, सोलापुर, 1958 10. See Bio-data of Prof. L.C. Jain attached with the 'Tao of Jana Sciences', Arihant
International, Delhi, 1992, XVII- XXIV, यह सूची 1992 तक की है। अब यह सूची 100 का
आंकड़ाँ स्पर्श कर रही है। 11. डॉ. हीरालाल जैन, भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, म. प्र. शासन साहित्य परिषद, भोपाल,
1962 12. डॉ. हीरालाल जैन, 'आठवीं ताब्दी से पूर्ववर्ती गणित सम्बन्धी संस्कृत एवं प्राकृत ग्रन्थों की खोज',
जैन सिद्धान्त भास्कर (आरा), 8, पृ. 105 - 111, 1941 अनुपम जैन, 'कतिपय अज्ञात जैन गणित ग्रन्थ', गणित भारती, दिल्ली, 4 (1-2), पृ. 61 - 71, 1981
जैन गणितीय साहित्य, अर्हत् वचन (इन्दौर), 1(1), पृ. 19 - 40, 1988 प्राकृत भाषा में निबद्ध गणितीय ग्रन्थ, तुलसी प्रज्ञा, 26, जुनाई - सितम्बर 1999, पृ. 35 - 43
प्राप्त - 22.11.99
A NEW EDITION OF GANITASĀRA SAMGRAHA OF
ĀCĀRYA MAHĀVĪRA
An Ancient Jaina Mathematical Text in Sanskrit
In Three Languages
ENGLISH, HINDI AND KANNADA
Editor : Dr. Padmavatamma Professor of Mathematics, University of Mysore, Mysore, India
Is Now Published Under the Patronage of
Rev. Devendrakirti Bhattāraka
For
Sri Siddhantakirti Granthamala Jain Matha of Humcha, Hombuja-577436, Karnataka, India
अर्हत् वचन, जनवरी 2000
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