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भगवान महावीर से जैन धर्म का प्रारंभ मानना भ्रांति है
- उपाध्याय मुनि श्री निजानन्द सागरजी
परमपूज्य गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला मैदान से 22 मार्च 98 को प्रवर्तित भगवान ऋषभदेव समवसरण श्रीविहार रथ दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान होता हुआ 5 अप्रैल 99 को मध्यप्रदेश के सीमान्त नगर नीमच पहुँचा। 5 अप्रैल 99
से 15 जनवरी 2000 तक संयोजक श्री विजयकुमार जैन का स्वागत करते हुए श्री प्रकाशचन्द सर्राफ मध्यपदेश के 352 नगरों/ग्रामों/कस्बों में भ्रमण कर जैन धर्म की प्राचीनता एवं भगवान ऋषभदेव की कल्याणकारी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करता हुआ मध्यप्रदेश के अंतिम पड़ाव इन्दौर नगर के तिलक नगर क्षेत्र में 16 जनवरी 2000 को आया। तिलकनगर, महावीरनगर, संविद नगर. कनाडिया रोड आदि क्षेत्रों में निकाली गई भव्य शोभायात्रा के पूर्व आयोजित विशेष धर्मसभा को संबोधित करते हुये उपाध्याय मुनि श्री निजानन्दसागरजी ने कहा कि - 'देश को गणिनी आर्यिका ज्ञानमती के द्वारा दिया गया योगदान प्रशंसनीय है। उन्होंने भगवान ऋषभदेव की मानवता के कल्याण हेतु दी गई शिक्षाओं तथा जैन धर्म की प्राचीनता के प्रचार-प्रसार हेतु इस समवसरण श्रीविहार की योजना समाज को दी। वेद, पुराण, भागवत सभी में और अनेक संस्कृतियों में ऋषभदेव पूज्य हैं इसके बावजूद 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर को जैन धर्म का संस्थापक बताना प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव, 22 वें तीर्थंकर अरिष्टनेमि, 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की ऐतिहासिकता एवं उनके अस्तित्व को नकारना उचित नहीं है। समाज को संगठित होकर रथ प्रवर्तन के माध्यम से जन-जन तक वास्तविक तथ्यों को पहँचाने हेतु कटिबद्ध हो जाना चाहिये आर्यिका ऋषिवाणी माताजी ने भी भगवान ऋषभदेव के जीवन पर प्रकाश डाला। सभा में महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीपकुमारसिंह कासलीवाल, राष्ट्रीय मंत्री श्री माणिकचंद पाटनी, समवसरण श्रीविहार प्रान्तीय समिति के अध्यक्ष श्री हुकुमचंद जैन (शाह बजाज), प्रान्तीय महामंत्री श्री प्रकाशचन्द जैन सर्राफ (सनावद), प्रान्तीय संयोजक डॉ. अनुपम जैन, प्रान्तीय उपाध्यक्ष श्री इन्दरचन्द चौधरी (सनावद), प्रान्तीय मंत्री पं. जयसेन जैन, प्रान्तीय प्रचार मंत्री श्री नन्दलाल टोंग्या, शासन सम्पर्क मंत्री श्री कैलाशचन्द चौधरी (सनावद), दिग, जैन समाज, इन्दौर के अध्यक्ष श्री हीरालालजी झांझरी, महामंत्री श्री कैलाश वेद, दिग. जैन समाज तिलकनगर के अध्यक्ष श्री भागचन्द लुहाडिया, मंत्री डा. प्रकाशचन्द्र जैन तथा अन्य अनेक गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे। कार्यक्रम में रथ प्रवर्तन के संयोजक श्री विजय कुमार जैन तथा संचालक पं. सुधर्मचन्द्र जैन शास्त्री का समिति की ओर से वरिष्ठ समाजसेवी श्री अजितकुमारसिंह कासलीवाल एवं श्री हकुमचन्द जैन ने सम्मान किया। म.प्र. के उपरान्त 18 जनवरी से रथ का प्रवर्तन गुजरात प्रान्त में हो रहा है।
ज्ञातव्य है कि म.प्र. में रथ प्रवर्तन की सम्पूर्ण योजना जैनीत्न श्री देवकुमारसिंह कासलीवालजी के मार्गदर्शन एवं संरक्षण में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ में ही तैयार की गई थी।
अर्हत् वचन, जनवरी 2000
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