Book Title: Arhat Vachan 2000 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 95
________________ भगवान ऋषभदेव अन्तर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव का उद्घाटन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर, आदिब्रह्मा, भगवान ऋषभदेव के अन्तर्राष्ट्रीय निर्वाण महोत्सव का भव्य उद्घाटन भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री माननीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी के करकमलों से 4 फरवरी 2000, माघ कृष्णा चतुर्दशी को जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी, गणिनीप्रमुख, आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के पावन सान्निध्य में हुआ, जिसके अन्तर्गत मेंला, 72 रत्न प्रतिमाओं का पंचकल्याणक महोत्सव एवं महामस्तकाभिषेक 4 फरवरी (माघ कृष्णा 14) से 10 फरवरी 2000 (माघ शुक्ल 5) तक सानंद सम्पन्न हुआ। ___4 फरवरी को प्रात: 11 बजे मुख्य सभा का शुभारम्भ हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी एवं अध्यक्ष के रूप में श्री वी. धनंजयकुमार जैन, वित्त राज्य मंत्री, भारत सरकार पधारे, जिनके द्वारा दीप प्रज्जवलन कर निर्वाण महामहोत्सव का उदघाटन किया गया। साथ ही कैलाश पर्वत का उदघाटन कर प्रथम निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य भी प्राप्त किया भारत के प्रधानमंत्रीजी ने। (प्रधानमंत्रीजी के उद्बोधन का अविकल पाठ पृष्ठ 91 - 92 पर प्रकाशित है।) वित्त राज्यमंत्री श्री धनंजयकुमार ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्रीजी की मुखवाणी से इस कार्यक्रम के सन्दर्भ में जो संदेश जायेगा वह सारे देश को आगे लाने के लिये, दनिया के सामने इस कार्यक्रम को आगे लाने के लिये पहली कडी होगी और उसमें हम सब एक साथ जटेंगे। महोत्सव समिति के कार्याध्यक्ष बाल ब्रह्मचारी कर्मयोगी श्री रवीन्द्रकमारजी ने कार्यक्रम का संचालन किया। मंच पर दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीपकुमारसिंह कासलीवाल, दिग. जैन महासभा के केन्द्रीय अध्यक्ष श्री निर्मलकुमार सेठी, दिग. जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी एवं दिग. जैन परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री साहू रमेशचन्दजी जैन, फेडरेशन ऑफ जैन एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका के अध्यक्ष डा. महेन्द्र पांड्या के अतिरिक्त दिग. जैन त्रिलोक शोध संस्थान के पदाधिकारीगण तथा महोत्सव समिति के अनेक पदाधिकारीगण भी उपस्थित थे। माननीय प्रधानमंत्रीजी के मंच पर आगमन से पूर्व अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के साथ डा. अनुपम जैन ने उनका माल्यार्पण से स्वागत किया। कार्यक्रम में पूज्य माताजी द्वारा रचित षट्खंडागम की सिद्धान्त चिन्तामणि टीका भाग - 2 तथा ज्ञानामृत' पुस्तक का विमोचन भी प्रधानमंत्रीजी के करकमलों से सम्पन्न हुआ। 6 से 10 फरवरी के मध्य पंचकल्याणक की क्रियाएँ सम्पन्न हुई। 9 फरवरी को भगवान ऋषभदेव की विशाल रथयात्रा निकली। 5 फरवरी को युवा सम्मेलन के परान्त तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ की कार्यकारिणी की बैठक में पं. शिवचरणलाल जैन - मैनपुरी, डा. नलिन के, शास्त्री - बोधगया, डा. अनुपम जैन - इन्दौर, डा. अभयप्रकाश जैन - ग्वालियर, ब्र. (कु.) सारिका जैन - संघस्थ, डा. मालती जैन - मैनपुरी, पं. उत्तमचन्द्र जैन 'राकेश' - ललितपुर, श्री संजीव सराफ - सागर आदि अनेक विद्वान उपस्थित थे। इस सभा में श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर तथा कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के सहयोग से डा. अनुपम जैन द्वारा संकलित विद्वत् महासंघ द्वारा प्रकाशित 'सम्पर्क' शीर्षक डायरेक्टरी का श्री अनिलकुमार जैन 'कागजी' ने विमोचन कराया। इस डायरेक्टरी में जैन अध्येताओं, जैन पत्र - पत्रिकाओं, जैन शोध संस्थानों, जैन प्रकाशकों तथा पुस्तक विक्रेताओं की पूरी जानकारी 4 खण्डों में संकलित है। इसी अवसर पर पं. जयसेन जैन द्वारा सन्मति वाणी एवं श्रीमती सुमन जैन अर्हत् वचन, जनवरी 2000 93

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