Book Title: Arhat Vachan 2000 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

View full book text
Previous | Next

Page 86
________________ सांस्कृतिक कार्यक्रम में रूचि रखने की अपेक्षा अपने पुरातात्विक स्थलों की सुरक्षा में अधिक रूचि रखना चाहिये। रात्रि में मथुरा में प्राचीन काल में आयोजित होने वाले कौमुदी महोत्सव की तर्ज पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। तृतीय सत्र - दिनांक 16.10.99, प्रात: 8.30 बजे मंगल गान : श्री सुरेन्द्रकुमार, पनगसिया संचालन : प्रो. रमेशचन्द्र शर्मा, वाराणसी आलेख वाचन : डा. फूलचन्द्र प्रेमी, अध्यक्ष - जैनदर्शन विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि.वि., वाराणसी 'मथुरा का सुप्रसिद्ध सरस्वती आन्दोलन और उसका प्रभाव' कुमार अनेकान्त जैन, जैन विश्व भारती वि.वि., लाडनूं ने प्राकृत को NET परीक्षा से हटाये जाने के विरोध में प्रस्ताव रखा तथा डा. रतनचन्द्र अग्रवाल, जयपुर ने उस पर विमर्श कराया। पूज्य उपाध्याय श्री ने अपने उद्बोधन में पुरातत्व की रक्षा हेतु सोने से जगाया तथा अन्तर्राष्ट्रीय गिरोहों द्वारा मर्तियों की चोरी की ओर संकेत किया। नये मन्दिर निर्माण की अपेक्षा अपनी पुरानी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा को अधिक आवश्यक बताया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को प्राकृत, अपभ्रंश आदि प्राचीन भाषाओं को पाठयक्रम में आवश्यक स्थान देने को प्रेरित किया। चतुर्थ सत्र - दिनांक 16.10.99, दोपहर 1.30 बजे मुख्य अतिथि : डा. लक्ष्मणसिहजी राठौर, कुलपति - जयनारायण व्यास वि.वि., जोधपुर मंगलाचरण : श्री निहालचन्द बड़जात्या, पूर्व प्राचार्य संचालन प्रो. रमेशचन्द्र शर्मा, वाराणसी आलेख वाचन : डा. हरिहरसिंह (प्रतिनिधि द्वारा) 'मथुरा के स्तूपों के वेदिका स्तम्भ' डा. शिवदयाल त्रिवेदी, लखनऊ 'मथुरा में स्तूप का सूत्रपात' डा. जितेन्द्रकुमार, निदेशक - राजकीय संग्रहालय, मथुरा 'गुप्तकालीन जैन मूर्तियाँ अपने मंगल उद्बोधन में उपाध्यायश्री ने छात्रों को पुरातत्त्व विषय में रूचि रखने की पेरणा दी। शिक्षा पद्धति में व्यसन मुक्ति, शाकाहार तथा नैतिकता के साथ पुरातत्त्व की अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की ओर प्रेरित किया। पं. उत्तमचन्द्र राकेश ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। __ अन्त में सभी विद्वानों का सम्मान किया गया। गोष्ठी संयोजक डा. फूलचन्द्र जैन प्रेमी ने अपने परामर्शक प्रो. रमेशचन्द्रजी शर्मा के प्रति सहयोग हेतु आभार प्रदर्शन किया। चित्र प्रदर्शनी द्विदिवसीय गोष्ठी का प्रमुख आकर्षण थी। विद्वानों ने केसरगंज, अजमेर की जैन समाज के आत्मीय आतिथ्य की तथा व्यवस्था की भूरि - भूरि प्रशंसा की। * इमारत बिल्डिंग, दि. जैन अतिशय क्षेत्र, श्रीमहावीरजी (करौली) अर्हत् वचन, जनवरी 2000

Loading...

Page Navigation
1 ... 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104