Book Title: Arhat Vachan 2000 01
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 51
________________ इन श्लोकों में मनुष्य ही नहीं, अपितु यक्ष, राक्षस, भूत, पिशाच, व्यंतर व भवनवासी तथा लोकान्तिक देवों के स्थान, गमन की दिशाएँ तथा आयु आदि का भी वर्णन है । नंदीश्वर द्वीप की दूरी यहाँ से 16384 लाख योजन है, यह आठवाँ द्वीप है यहाँ प्रत्येक चार माह बाद देव - देवी दर्शन के लिए जाते हैं। इसी तरह 'बिम्ब अठ एक सौ रतनमयि सोहही, देव देवी सरब नयन मन मोहहीं । पाँचसै धनुष तन पद्म आसन परं भौन बावन प्रतिमा नमो सुखकरं ।' - 'लाल नख मुख नयन स्याम अरू स्वेत हैं, स्याम रंग भोंह सिरकेश छवि देत हैं। वचन बोलत मनो हँसत कालुष हरं, भौन बावन प्रतिमा नमो सुखकरं ॥" नन्दीश्वर द्वीपपूजा नंदीश्वर द्वीप इतना दूर होते हुए भी वहाँ सुन्दर मनुष्याकार में पूजनीय प्रतिमाएँ होना आश्चर्यजनक है। वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गये उपग्रह केवल इस सौरमंडल के ही कुछ उपग्रहों की टोह ले पाये हैं, ऊँचाई से हमारी पृथ्वी भी एक निर्जन, उबड़-खाबड़ स्थान दिखाई देता है जो चित्र सैटेलाइट द्वारा पृथ्वी के प्राप्त हुए हैं, उनमें मानव निर्मित चीन की हजारों मील लंबी दीवार, विशाल एरोड्रोम, बड़े - बडे बांध, लंबे-चौडे राजमार्ग, अट्टालिकाएँ आदि का तो पता ही नहीं चलता, हमारी पृथ्वी का औसत वार्षिक तापक्रम 15° से. है जो मानव एवं पशु-पक्षी जैसे हाड़-मांस निर्मित प्राणियों के लिये उपयुक्त है, इनके साथ ही वायुमंडल में विद्यमान 20.9 प्रतिशत आक्सीजन, पानी व अन्य गैसों व वनस्पतियों का भी महत्व है, यह सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर होने से संभव हो पाया है। जीवन की सीमा रेखाएँ (Parameters) इतनी निर्णायक (Critical) एवं संवेदनशील है कि जरा सी दूरी कम ज्यादा होने से या धुरी के कोण में अंतर होने से मौसम बदल हैं तथा प्राकृतिक प्रकोप शुरू हो जाते हैं, केवल सूर्य ही नहीं, अन्य छोटे- छोटे ग्रह, नक्षत्र व उपग्रह भी जीवन पर अपना पर्याप्त प्रभाव दिखाते हैं। 6 जनवरी 98 से चन्द्रमा की परिक्रमा करने वाले अमरीकी उपग्रह 'लूनर प्रास्पैक्टर'' ने वहाँ के धरातल के नीचे बरफ के क्रिस्टल्स के रूप में पानी होने के संकेत दिये हैं। पर चंद्रमा में वायुमंडल बहुत कम है और आक्सीजन नहीं होने से मानव की उपस्थिति संदेहपूर्ण हैं। बुध ग्रह जिसे मरकरी भी कहते हैं सूर्य से 6 करोड़ किलोमीटर दूर है, यहाँ एक दिन रात पृथ्वी के 59 दिन रात के बराबर होता है, यहाँ आक्सीजन, हाइड्रोजन प्रचुर मात्रा में है तथा कुछ मात्रा में हीलियम एरगोन आदि गैसें हैं, यहाँ दिन में तापमान 345° से. तथा रात में 173° से. हो जाता है। - ऐसी परिस्थिति में दिन में बड़े- बड़े पर्वत गल जाते हैं और रात को जम करके खण्ड - खण्ड हो जाते हैं, अर्थात् नारकीय जैसी स्थिति है। यद्यपि यह ग्रह पृथ्वी छोटा है पर पृथ्वी से 6 गुनी अधिक ऊर्जा सूर्य से ग्रहण करता है, ऐसी स्थिति में मानव जैसे प्राणी के जीवित रहने की संभावना नहीं है। शुक्र ग्रह ( Venus) सूर्य से 12 करोड़ कि.मी. दूर है, वहाँ की धरती का तापक्रम 380° सै. है तथा कार्बनडाई आक्साइड अधिक है, आक्सीजन 1 प्रतिशत है एवं वायु का दबाव पृथ्वी से 90 गुना अधिक है, वहाँ सदैव एक जैसा मौसम रहता धरातल पर चंद्रमा की भांति ज्वालामुखियों तथा उल्काओं द्वारा निर्मित खड्डे हैं, यह ग्रह चंद्रमा अर्हत् वचन, जनवरी 2000 49

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