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दब ]
खान पान के या पहनने ओढ़ने के द्रव्यों को घटाना- कम करना decreasing food stuffs and wearing apparels श्रव० १६; भग० २५, १ – पयणा स्त्री० ( - एजना ) द्रव्यपरत्वे ते. द्रव्य परत्वे कंपन trembling material. ly. भग० १७, ३० - श्रोगाहणा. स्त्री० ( - श्रवगाहना ) द्रव्य याश्री अवगानया द्रव्य सम्बन्ध की अवगाहना-ऊंचाई. material height. ठा ४, १: - श्रहि पुं० ( -अवधि ) द्रव्य या श्री व्यवधिज्ञान द्रव्य के सम्बन्ध का अवधिज्ञान. limited knowledge in relation to substances. विशे० १८४: करण. न. ( -करण ) द्रव्य श्री . द्रव्य सम्बन्धी करण द्रव्यार्थीकरण. material couse. भग० १६, ६: -ग्गहण न० (-ग्रहण ) युद्धसाहि द्रमनुं अणुखं ते. पुद्गलादि द्रव्य का ग्रहण करना taking in of substances like Pudgala etc. प्रव०२१७; १०५६; - जाय. पुं० ( जात ) द्रव्यना अकार द्रव्य के प्रकार; द्रव्य की जाति, the varieties of substances. जं० प० २, ३१; - जीविय न० ( -जीवित ) प्राण धारण કરવાના આધારરૂપ અન્ન પાણી વગેરે દ્રશ્ય. प्राण धारण के आधाररूप अन्न जलादि द्रव्य. substances such as food, water etc. which support life. त्रिशे० ३५११ – दु. पुं० (-अर्थ) द्रव्यनी अपेक्षा. द्रव्य की अपेक्षा- इच्छा. wish for substances. भग• ७, २; इत्ता. ब्रो० ( - अर्थ ) द्रव्यार्थ पशु द्रव्पनी अपेक्षा. द्रव्यार्थता; द्रव्य की अपेक्षा; द्रव्य कामना. a desire for substances. २४, ३ – व्या. स्त्री० (- अर्धता) द्रव्यार्थि
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भग०
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[ दव्व
નય; દ્રવ્યની અપેક્ષા; પર્યાયને ગૌણુ રાખી દ્રવ્યને મુખ્યતા આપી શાશ્વત અશાશ્વતને विचार । ते द्रव्यार्थिक नय; द्रव्य की अपेक्षा; पर्याय को गौण रख कर द्रव्य को मुख्यत्व प्रधानता देना और फिर शाश्वत अशाश्वत का विचार करना substantial standpoint; a desire for wealth; discussion of the eternal or transitory, making the subs. tances as primary and there modifications as secondary. जं० प० ७; १७५; राय ० १४५; भग० १८, १०; १३, ७; २५, ४; जीवा ०३, ४; नाया • ५;पन्न ३, तुल्लय त्रि० (- तुल्यक) द्र०५ मा श्री तुप द्रव्य तुल्य similar to a substance. भग १४, ७; --त्थव. ( -स्तव ) द्रव्य स्तप-स्तुतिः भावविना स्तुतिन उभ्या मात्र २ ते द्रव्य स्तुति भावहीन प्रार्थना करना; भाव को न समझत हुए स्तुति के उच्चार मात्र से प्रार्थना करना. a material praise; repeating a prayer without any sincerity. पंचा० ६, ४६; - दिसा. स्त्री० (-दिश् ) ६श દિશાની શરૂઆત મેરૂત ચક્ર પ્રદેશ
૫ દ્રવ્યથી થાય છે . તેથી તેની અપેક્ષાએ दिशाखे द्रव्य रूप ही शाम दस दिशाओं का आरंभ मेरू के रुचक प्रदेश रूप द्रव्य से होता है इसकी अपेक्षा से दिशायें द्रव्यरूप कही जासकता हैं the quarters can be called material for they start from the Ruchaka region (which is material) in the Moru mountain. विशे• ६६६६६ – देव. पुं० (देव) भावता भरमा देवनार मनुष् अनेतियय. आग मी भत्रमें देवता होनवाले मनुष्य और तिर्यंच. the human and
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