Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 3
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 640
________________ पहिय. ] [ पोकारेमाण. पहिय. न० ( प्रेक्षित ) टाक्षनरी kandha of Sūyagadāvga ते. कटाक्षपूर्वक प्रेक्षण-अवलोकन. Look- Sūtra which describes the ing with amourous glances. simile of the white lotus. दस० ८, ५८: उत्त० ३२, १४; सूय० २, १, १; ६०; (२) पीछानी पापोवाणु पेटुण. न० (बर्हिण ) भोरना fli; भोपी.. पक्षी. पंखवाला पत्नी. A bird having मोरके पंस-पीक. Pea-cock feathers. feathers. पन्न० १; (3) धौमा . श्वेत जीवा० ३, ४, पराह० १, १, २, पन्न० १७, कपल. White lotus. प्रोव० ४०; सूय० राय० ५५, भत्त० १४१; -कलाव. पुं० २, ३, १८; पन्न० १; राय० ४८; ज. प. (४) ( -कलाप ) भोरपीछानो समूह. मोरके સાતમા દેવલોકનું એક વિમાન; એની સ્થિતિ पंखका ढेर-समूह. A heap of pea-cock સાર સાગરોપમની છે; એ દેવતા સાડાઆઠ feathers. नाया० ३; મહિને શ્વાસોચ્છવાસ લે છે; એને સત્તર હજાર पोइय. त्रि० ( पोतित ) निममा मेयं, निमग्न वर्षे दुधा सागे छ. सातवे देवलोकका एक __ इबाहुआ. Plunged. प्रोघ० नि० १३६ ; विमान; इसकी स्थिति सत्तर सागरोपमकी है, यह पोई. पुं० ( पोती ) पाई पनपति विशेष. देवता साढे पाठ मासमें श्वासोच्छवास लेते है, और पोई; वनस्पति विशेष. A particular इन्हे सत्तर हजार वर्षों में क्षुधा लगती है. A vegetation. भग० २१, ६; celestial abode of the 7th पोंड. न० ( पोण्ड ) विस न पामेलु म. heaven; its gods live for 17 विकासहीन कमल. An unopen lotus. Sāgaropamas, breathe once in पण्ह० १, ४; विश० १४२५; 8 months and feel hungry पोंडग. पुं० (पोगडक ) वनस्पति विशेष. once in 17000 years. सम० १७; वनस्पति विशेष. A particular vegeta (૫) કુંડરીક અને પુણ્ડરીક અધિકારવાળું tion. जीवा० ३, ४, साता सूत्रनुं 16 अध्ययन. कुंडरीक और गोंडरीकिणी, स्त्री. ( पुण्डरीकिणी ) इक्षिण पुण्डरीकके अधिकारवाला ज्ञाता सूत्रका १६वा દિશાના અંજનક પર્વતની પુણરીકિણી अध्ययन. The 19th chapter of नामनी वाय. दक्षिण दिशाके अंजनक पर्वतकी Għātā Sūtra describing Kun. पुण्डरीकिणी नामक बावली-वापिकी. A well darika and Pundarika. सम. pamed Pundarikiņī of the १६; Anjanaka mount of the पोकरण पु. ( पोकण ) मे नामनी सहेश. south. ठा. ४, २; इस नामका एक देश. A country so पोंडरीय. पु. ( पुण्डरीक ) सू त्रना named. (२) त्रि. ते दृशमा रहेनार. બીજા શ્રતધનાં પહેલા અધ્યયનનું નામ, इस देशका निवासी. An inhabitant કે જેમાં પુરિક–સફેદ કમળની ઉપમા of that country. पाह. १, १; छ. स्यगडांग सूत्रके दूसरे श्रुतस्कंधके पहिले पत्र० १; अध्ययनका नाम जिसमें पुगडरीक-श्वेत कमलकी | पोकारेमाण. 4. कृ. त्रि० ( प्रत्कुर्वत् ) पर अमा दी गई है. Name of the 1st | ४२. पुकार मचाताहुमा. Shouting. chapter of the 2nd Srutas-I नाया० १८; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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