Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 3
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 465
________________ पबंध] ( ४६१ ) [पभंकर पबंध. पुं० (प्रबन्ध ) निरन्तर [५३या ३२वी नमा हुआ भाग-शिखर. A peak bent તે; સ્ત્રી ક્યા ભત કથા, દેશ ક્યા અને રાજ on one side. नाया० १, ५; भग. ३, था ये या२वियानी प्रवृत्ति. निरन्तर विक- २, ५, ७; संस्था० १०६; जं. प. अणुजो. थन; श्री कथा, भत्त(र्तृ)कथा, देश था तथा | १३४; नंदी. ४७: पन्न. २; ( २ ) सभू. राज कथा आदि चार प्रकार की कथाओं की समूह; वृन्द; मुंड. group. (३) मे प्रवृत्ति Telling stories.incessant | जतन जारीगर. एक कागिर विशेष. a ly; the relating of stories of 4 kind of craftsman. पन. १: kinds viz. talk about women, | पब्भारग. त्रि. ( प्रारभारगत ) नमे. talk about food, talk about नमा हुश्रा; नत. Bent दसा. ७, ११%3 country and talk about poli. पन्भारा. स्त्री. (प्राग्भारा) माणसनी१० ६शा. tics. " पंबंध च पकुम्वइ" उत्त० ११, ઓ માંની આઠમી દશા; ૧થી ૮૦ વરસ (२) २यना निर्माण रचना: बना- સુધીની માણસની અવસ્થા કે જેમાં ચામડીએ वटः निर्माण. creation; production; કરચલી પડે છે અને શરીર નમી બેવડુ વલે arrangement. सु. च. १,३; छ. मनुष्य की दस दशाओं में से पाठवीं दशा: पबंधण. न. ( प्रबन्धन ) प्र०५६ ४२वा; मनुष्य की ७१ से ८० वर्ष तक की अवस्था व्यवस्था १२वी. प्रबन्ध करना, व्यवस्था करना जिसमें देह पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं और Arranging; ordering. सम० १२; शरीर झुक जाता है. The 8th stage पबंधिय सं० कृ० अ० ( प्रबध्य ) प्रष्ट पणे of the 10 of a man; the period माधान. उत्तम रीति से बांधकर; अच्छी तरह between 71st and 80th years से बांधकर. Having tied well. क. of a man when his skin gets प० २, ५२; crabbed and the body bonds पबाहा. श्री. ( प्रवाधा ) विशेष पी। विशेष on one side. तंदु. अति तीव्र पीडा. Acute pain. नाया० पभ. पुं० ( प्रभ ) ६२४-1 भने ७२सा छन्द्रना सोपासनु नाम. हरिकान्त और परोहय त्रि. ( प्रबोधक ) प्रमोय ४२१॥२. हरिसह इन्द्र के लोकपाल का नाम. The प्रबोध कर्ता. Enlightener.विशे० १७३; name of the Lokapāla of Hariपबोहिउं. हे • कृ० अ० ( प्रबोधयितुम् ) सम. kanta and Ilarisaha Indras. Mयाने. समझाने के लिये For the ठा. ४,१; भग० ३, ८; उवा० ३, १४४, sake of enlightening. सु. च० (२) प्रभा-अति प्रभा-कांति. lustre. १,१८६ भग. ११, ११: पन्भट्ट. त्रि० (प्रभ्रष्ट ) भ्रष्टः पतित येस. पभेकर. पुं० ( प्रभङ्कर) ४२ नामे जीत भ्रष्ट; पतित; गिरा हुआ. Fallen; sin. | यसन मे विमान. प्रभंकर नामक तीसरे ful. भग. ६,३३; उत्त० ८,१४, सूय. १, देवलोक का एक विमान. A celestial ४, १, १६; नाया. १,८भत्त. ६५१२२; abode of the third Devaloka पन्भार पुं० ( प्रारभार ) पतन ४ named Prabhankara. सम० ३. नभी गयेलो मान-शि५२. पर्वतका कुछ कुछ । (२) मे नाम पायमा सर्नु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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