Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 3
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

View full book text
Previous | Next

Page 623
________________ पुकल. ] २१; पण्डु० १, ३; (२) त्रि० अभूत; धाधुं प्रभूत; बहुत. Plantiful; much. पर६० १, ३ ( ६१६ ) पुलक. पुं० न० ( पुलक ) रत्न विशेष रत्न विशेष. A particular gem. जीवा ० ३, ४; पुलग. पुं० ( पुलक ) रत्नप्रला पृथ्वीना सातमा युवा 3. रत्नप्रभा पृथ्वीका सातवाँ पुलककाण्ड. The 7th Pulaka Kanda of Ratnaprabhā earth. सम० प० १६४; उवा० १, ७३ः (२) भेड भतनुं २त्न एक जातिका रत्न. A kind of gem. भग० १, १ नाया ० १; राय० २६; कप्प० ३, ४५; (3) खेड तनुं जयर आशी. एक जातिका जलचर प्राणी. A kind of water-animal. १० १; पुलमिप्पुला. पुं० ( पुल/कनिष्पुलाक ) संयभने दूषित उरनार होपोथी रषित संयमको दूषित करनेवाले दोषसे शून्य. Devoid of faults which spoil self-restraint. दस० १०, १, १६; gem. पुलय. पुं० ( पुलक ) रामांन्य रामहर्ष रोमांच; रोमहर्ष; पुलक. Horripulation. सु० च० १, ३६८; (२) खेड भवनो भणि. एक जातिका मणि. A kind of कप० २, २६; पत्र० १ राय० २६; पुला. स्त्री० ( पुरा ) पाणीभां उत्पन्न થતા पोरा मे द्रिय कचनी भेड लता दो इन्द्रिय जीवको एक जाति A species of two-sensed beings. जीवा० १; पुलाकिमि. ५० ( पुराकृमि ) गुहाभां उत्पन्न થનાર કૃમિએ ઇંદ્રિય છત્રની એક જાત, गुदा भागमें उत्पन्न होनेवाला कृमि: दो इन्द्रिय जीवको एक जाति A species of twosensed beings; a thread-worm. पत्र० १; Jain Education International [ पुलिंद. पुलाकिमिय पुं० ( पुराकृमिक ) मे घन्द्रिय व विशेष दो इन्द्रिय जीव विशेष. A particular. two-sensed being. भग० १५, १; पुलाग. पुं० ( पुलाक ) वास, या वगेरे निःसार धान्य. वने आदि निःसार धान्य. Worthless corn such as beans, grams etc. उत्त० ८, १२; प्राया० १, ८, ४, १३; (२) घुसाउ- नियंडो; नियंठाना अरमान थे. पुलाक नियंठ; नियंठ के छः प्रकारोंमेंसे एक. One of the 6 kinds of Niyanthas. भग० २५, ६; भक्त न० ( -भक्त ) तुच्छ-नीरस भोन्न. तुच्छ - बेस्वाद - भोजन. A tasteless food. वेय० ५, ४२; पुलाय. पुं० ( पुलाक ) लुस्सो; धान्यनां छोतरां. भूसा; धानका छिलका. Chaff; husk प्रव० ७३७; सूर्य० १, ७, २६६. (ર) પુલાક લબ્ધિવાન સાધુ જેવું ચારિત્ર ભુસા જેવું-નિસ્સાર-દોષ સહીત હોય છે. पुलाक लब्धवान् साधु जिसका चारित्र भूसेके समान - निस्सार एवं दोष पूर्ण होता है. An ascetic whose conduct is worthless like chaff प्रव० ७००; ठा० ३, २, ५, ३ मन० २५, ६, पुलायत न० ( पुलाकत्व ) पुसा नियंहाना भाव. पुलाक नियंठका भाव. The state of Pulāka Niyantha. भग० २५, ६; पुलिंद पुं० ( पुलिन्द्र ) पुन्हि नामनो मे अनार्य हेश. पुलिन्द नामक एक अनार्य देश. A non-Aryau country named Pulinda. (२) त्रि० ते देशमा रहेनार. उक्त देशमै रहनेवाला; इस देशका निवासी. An inhabitant of that country. भग० ३, २; घोष० नि० ७६६ पव्ह० १, १ पद्म० १; प्रब० १५६८; For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705