________________
दीहकालोवएसिया ]
( १७६ )
[दोहदंत
ancient; archaic. उत्त० १६, ५ | recognition of past events दसा. ७, १२; -केस. पुं० (केश) etc. प्रव० ६३३; मांस वा. लम्बे बाल; दीर्घ केश. long | दीहणिव. पुं० (दीर्घनृप) पिसपुरने। ये hair. निसी०३, ४७; -राय. न.(-रात्र)। नाभनी २१०. इस नाम का कम्पिलपुर का सांया मत७ ५५"त. दीघ काल; राजा. A king of Kampilapura आजीवन. long time; life-long. I known by this name. उत्त० टी० सूय. १, ६, २७, पाया० १, ५, २, १५०; १३, १; -रोम. पुं. (-रोमन् ) ही म. | दीहदंत. पुं० ( दीर्घदंत) मातरे।५५ति। ३पारी. दीर्घ रोम-रुएं या रोंगटे. long
સૂત્રના પ્રથમ વર્ગના છઠા અધ્યયનનું નામ hair or feathers. दस. ६, ६५;
श्रणुत्तरोप पातिक सूत्र के प्रथम वर्ग के छठे -वट्ट. त्रि० (-वृत्त) inा अने गोस.
अध्ययन का नाम. Name of the लम्बे और गोल. long and round.
6th chapter of the 1st section भाया० २, ४, २, १३८; दस० ७, ३१; of the Aņuttaropapātika
-वेयड्ड. पुं०( -वैताब्य ) सांस। बताय Sutra. अणुत्त०१,६: (२) श्रेएिशनी पत. लम्बा वैताव्य पर्वत. the long ધારણ રાણીના પુત્ર કે જે મહાવીર સ્વામી range of the Vaitādhya mount- પાસે દીક્ષા લઈ ૧૧ અંગ મણી, ગુણરયણ ains. ठा० २, ३; सम० ५०; ज. प. ६, તપ આચરી બાર વરસની પ્રવજયા પાલી १२५; भग• १४, ८; -सद्द पुं०(-शब्द)
વિપુલ પર્વત ઉપર એક માસને સંથારો हीर-सांया श६. दीर्घ शब्द; लम्बी કરી સર્વાર્થસિદ્ધ મહા વિમાને ૩૩ સાગરો आवाज. a long sounding voice; પમના આઉખે ઉત્પન્ન થયા ત્યાંથી મહાa bombastic word.ठा०१०;-सुत्त.
विमा भनु य मोक्ष शे. श्रीणक न० ( - सूत्र ) सतरना सांगा तांता. राजा की धारणा राणा का पुत्र कि जिन्हेंोन सूत के लम्बे तंतू. long fibres of महावार स्वामी के समीप दीक्षा लेकर ११ thread. निसा. ५, १२;
अंगों का अध्ययन कर गुणरयण तप कर के दीहकालोवएसिया. स्त्री. ( दीर्घकालो. बारह वर्ष तक प्रत्रज्या का पालन करके विपुल
पदेशिका) अतीत अने सनागत स्तु पर्वत पर मास का संथारा कर सर्वार्थसिद्ध વિષયક જ્ઞાનવાલી સંજ્ઞા; સંજ્ઞાને પ્રથમ विमान में ३३ सागरोपम का श्रायुष्य बांध अार. अतीत और अनागत वस्तु विषयक कर उत्पन्न हुए और वहां से महाविदेह क्षेत्र ज्ञान वाली संज्ञा; संज्ञा का प्रथम प्रकार में मनुष्य भव प्राप्त कर के मोक्ष प्राप्त करेंगे. A recognition having for its the son of Dhāraṇi the queen object a knowledge of the of Srenika. He ( son ) took past and future objects; 1st Dikşā from the Lord Mahāvíra,
kind of recognition. प्रव. ६३२; studied the 11 Angas and दीहकालसन्नि. त्रि. ( दीर्घकालमंज्ञिन् ) practised Gunarayana penance हास सजाये ४ सशी. दीर्घ कालिक | and after 12 year's ascetic. संज्ञा वाला. (One) possessed of a ism and a month's Santhara.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org