________________
नेसग्गिय ]
पंचा० ३, २६; नेसग्गिय. त्रि० ( नैसर्गिक ) स्वाभावि स्वाभाविक; सहज; नैसर्गिक Natural.
सु० च० १, १०६;
नैसज्जिश्र, श्रि० ( नैषधिक) पसडी वाली
( ३५३ )
भेसुनार चालखे। पालखी मारकर - श्रासन लगाकर बैठने वाला. ( One ) sitting cross legged or folding his logs. श्र० १६६ नेसप्प. पुं० (नैसर्प ) वर्तीना नवनिधानમાંનુ એક કે જેમાં ગ્રામ નગરાદિના સમાवेश श्रापछे चक्रवर्ती के नव निधानों में से एक निधान, जिसमें प्राम, नगर आदि का समावेश होता है. One of the nine books or treasures of a Chakravarti ( a sovereign ) which treat about villages towns etc.
प्र. १२३२; ० ६, १
नेह पुं० ( स्नेह ) स्नेड; राम; प्रीति स्नेहः अनुराग प्रीति Affection; attach ment. विशे० १६२७; उत्त १३, १५: २३, ४३; (२) धी, ते व्याहि भीमरायाणा पदार्थ, घी, तेल आदि स्निग्ध-चिकने पदार्थ, oily or greasy objects e. g. ghee oil etc. पिं० नि० ५४; (३) उभ मुद्रसभां पड़ते। रस. कर्मपुल में गिरने वाला रस. an essence or fuid falling in Karmic atoms. क० प० १, २२; - श्रणुरागइत्त. त्रि० ( -अनुरागरक्त ) સ્નેહથી अधायेस; अनुरागी स्नेहबद्ध; अनुरक्त attached; affectionate. निर० १, १; - अवगाढ. त्रि० (- श्रवगाढ) स्नेह घी वगेरेथी व्याप्त स्निग्ध पदार्थों से स्नेहपूर्ण - पूरित. Jubricated; oily; affectionate. - तुपियगत. त्रि० ( - स्नपिनगात्र ) नेनुं
व्याप्त;
प्रव ० १४१;
Vol. 1/45.
Jain Education International
[ नोइंडिय
शरीर सेवाथी लीलयेस होय, ते. वह, जिसका शरीर परोपकार के कार्यों में ओतप्रोत लीन है. one whose body is wet with obliging others. विवा० २:- प्पश्चय. त्रि० ( - प्रत्यय) स्नेह रस छे निमित्त म ते. स्नेह रस के निमित्त वाला; स्नेहार्थी; स्नेह-नैमित्तिक. that which has affection for its cause. क० १० १, २२; - वज्जिय. त्रि० ( - वर्जित ) स्नेह zlen; gay'. fàeciga; gal; alfara. coarse; without affection or oil. प्रव• १४१;
नो. अ० ( नो ) निषेधार्थ व्यव्यय. निषेध
बोधक अव्यय. A negative particle. वव० १, २३; सम० ६; श्राया० १, १, ३. २३; २, १, ३, १५; वेय० १, १; नाया ० १; भग० ३, १; गय० ५१; गच्छा० ७६६ उवा० १, १२, ८, २६२:
नोश्रागमओ. अ० नो भागमतः ) देशधी સથી આગમ-જ્ઞાનસ્વરૂપના અભાવને याधीने अंशतः - देशतः या सर्वथा आगम ज्ञानस्वरूप के अभाव से सम्बन्ध रखकर का आश्रय लेकर Relating to the absence of scriptural knowledge in part or whole. अणुजो ०
१२:
For Private
नोइंदिय- श्र. पुं० न० (नोइन्द्रिय) देवलज्ञान
અને કેવલ-દર્શીન યુક્ત જીવ કે જેને ઇન્દ્રિयनुं प्रयोजन नथी २. केवल - ज्ञान और केवल-दर्शन युक्त प्राणी, जिसे इन्द्रियों से कुछ प्रयोजन नहीं रहा. A soul having perfect knowledge and feel. ings, for whom the senses have no use जीवा० १ (२) मन. मन. the mind. नंदी ० २६; - धारणा. श्री० ( - धारणा ) भनी वस्तुनो निष्युये ४२वा.
Personal Use Only
www.jainelibrary.org